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डेब्यू टेस्ट में लगाए शतक को पृथ्वी शॉ ने अपने पिता को किया समर्पित

वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू टेस्ट मैच में शतक जड़कर इतिहास रचने वाले पृथ्वी शॉ का मानना है कि वह इंग्लैंड में कड़ी परिस्थितियों में भी बेहतर मैच खेलने के लिये अच्छी तरह से तैयार थे. 18 साल के पृथ्वी शॉ को इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी दो टेस्ट मैचों के लिये टीम में शामिल किया गया था लेकिन उन्हें डेब्यू का मौका नहीं मिला. भारत ने यह सीरीज 1-4 से गंवायी थी.

पृथ्वी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मैच में 134 रन बनाकर धमाकेदार शुरुआत की. वह अभी 18 साल 329 दिन के हैं और अपने डेब्यू टेस्ट मैच में शतक जड़ने वाले सबसे युवा भारतीय हैं.

पृथ्वी ने अपना शतक अपने पिता को समर्पित किया जिन्होंने अकेले ही उन्हें पाला पोसा. पृथ्वी जब केवल चार साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया था. इसके अलावा पृथ्वी ने कहा कि वह मैदान पर जब भी बल्लेबाजी करने उतरते हैं तो वह सिर्फ अपने पिता के लिए रन बनाते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था मुझे अंडर-19 विश्व कप में जीत के बाद भारत से डेब्यू का मौका मिल जाएगा. मैं मैच दर मैच आगे बढ़ा और आखिर में आज मैंने डेब्यू किया. मैं इस पारी को अपने पिताजी को समर्पित करता हूं. उन्होंने मेरे लिये काफी बलिदान किये.’’

पृथ्वी ने कहा, ‘‘मैं अपने डैड के बारे में सोच रहा था और उन्होंने मेरे लिये काफी बलिदान किये. जब मैं शतक बनाता हूं तो उनके बारे में सोचता हूं और यह मेरा पहला टेस्ट शतक है और यह पूरी तरह से उन्हें समर्पित है.’’

पृथ्वी से पूछा गया कि मैच से पहले उनके पिता ने उनसे क्या कहा था, उन्होंने कहा, ‘‘वह क्रिकेट के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते. उन्होंने यही कहा कि जाओ और अपने डेब्यू का लुत्फ उठाओ. इसे एक अन्य मैच की तरह खेलो.’’

उन्होंने पहले दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा, ‘‘यह कप्तान और कोच का फैसला था. मैं इंग्लैंड में भी तैयार था लेकिन आखिर में मुझे यहां मौका मिला.’’

पृथ्वी ने कहा, ‘‘लेकिन इंग्लैंड में अनुभव शानदार रहा. टीम में मैं सहज महसूस कर रहा था. विराट भाई ने कहा कि टीम में कोई सीनियर या जूनियर नहीं होता है. पांच साल से भी अधिक समय से इंटरनेशनल क्रिकेट खेल रहे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम में साथ में रहना बहुत अच्छा अहसास है. अब सभी दोस्त हैं.’’

वह मैच से पहले थोड़ा नर्वस थे लेकिन इंग्लैंड में सीनियर साथियों के साथ समय बिताने से उन्हें अपने डेब्यू मैच को एक अन्य मैच की तरह लेने में मदद मिली.

पृथ्वी ने कहा, ‘‘मैं शुरू में थोड़ा नर्वस था लेकिन कुछ शॉट अच्छी टाइमिंग से खेलने के बाद मैं सहज हो गया. इसके बाद मैंने किसी तरह का दबाव महसूस नहीं किया जैसा कि मैं पारी के शुरू में महसूस कर रहा था. मुझे गेंदबाजों पर दबदबा बनाना पसंद है और यही मैं कोशिश कर रहा था. मैंने ढीली गेंदों का इंतजार किया.’’

रणजी और दलीप ट्रॉफी में डेब्यू पर शतक जड़ने वाले पृथ्वी ने उच्च स्तर पर भी यही कारनामा किया.

पृ्थ्वी ने जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं जब भी क्रीज पर उतरता हूं तो गेंद के हिसाब से उसे खेलने की कोशिश करता हूं और इस मैच में भी मैं इसी मानसिकता के साथ खेलने के लिये उतरा. मैंने यह सोचकर कि यह मेरा पहला टेस्ट मैच है कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की. मैंने उसी तरह का खेल खेला जैसे मैं भारत ए और घरेलू क्रिकेट में खेलता रहा हूं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हां अगर आप इंटरनेशनल क्रिकेट और अंडर-19 या घरेलू क्रिकेट की तुलना करो तो इसमें काफी अंतर है. इंटरनेशनल क्रिकेट में काफी रणनीतियां बनानी होती है. आपको अधिक तेज गेंदबाजी करने वाले गेंदबाजों का सामना करना होता है. कई बार घरेलू क्रिकेट में भी काफी तेज गेंदों का सामना करना पड़ता है लेकिन यहां अनुभव और विविधता होती है.’’

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