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लंबे समय से नौकरी नहीं है, इस बात कि परवाह किए बिना मनजीत सिंह की नजरें ओलंपिक पर

मुंबई। एशियाई खेलों की पुरुष 800 मीटर दौड़ के गोल्ड मेडल विजेता मनजीत सिंह के पास लंबे समय से कोई नौकरी नहीं है, लेकिन इस चिंता में पड़ने के बजाय मनजीत आगे होने वाली प्रतियोगिताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाह रहे हैं. मनजीत कतर के दोहा में अगले साल होने वाली विश्व चैंपियनशिप में मेडल जीतकर अपना दम दिखाना चाहते हैं. एक ओर जहां मेडल जीतने के बाद खिलाड़ी सरकार से कोई नौकरी या बड़े इनाम की अपेक्षा करते हैं, मनजीत एक अलग तरह कि मिसाल पेश कर रहे हैं. 2016 में नौकरी गंवा चुके मनजीत सरकार से केवल इस तरह की मदद चाहते हैं जिससे उन्हें आगे देश के लिए मेडल जीत सकें जिसमें ओलंपिक भी शामिल भी है.

मनजीत का कहना है, ‘‘मेरा अगला लक्ष्य 2019 में होने वाली एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप है. मेरा लक्ष्य वहां मेडल जीतकर ओलंपिक (तोक्यो 2020) के लिए क्वालीफाई करना है और वहीं से ओलंपिक के लिए मेरी तैयारी शुरू होगी.’’

मुख्य चीज ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है
हरियाणा के जींद जिले के उझाना के रहने वाले 29 साल के मनजीत ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘मुख्य चीज ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है.’’ एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप का आयोजन दोहा में अप्रैल में होगा जबकि इसी शहर में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप सितंबर-अक्टूबर में होगी. मनजीत ने एशियाई खेलों की 800 मीटर दौड़ में एक मिनट 46.15 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण मेडल जीता था.

एशिया और विश्व चैंपियनशिप के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों के बारे में पूछने पर मनजीत ने कहा, ‘‘एशिया में बहरीन और कतर के खिलाड़ियों से टक्कर मिलेगी. विश्व स्तर पर कीनिया के खिलाड़ी अच्छे हैं.’’ गौरतलब है कि एशियाई खेलों के गोल्ड मेडल विजेता मनजीत सिंह ने भारत लौटने के बाद  खेल मंत्रालय से आग्रह किया था कि उन्हें टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) में शामिल किया जाए जिससे कि वह 2020 ओलंपिक जैसे आगामी बड़े टूर्नामेंटों की तैयारी कर सकें.

नौकरी गई लेकिन अब ट्रेनिंग को प्राथमिकता
ओएनजीसी ने मार्च 2016 में उनका अनुबंध बढ़ाने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह नतीजे नहीं दे पा रहे थे जिसके बाद उनके पास कोई नौकरी नहीं है. विपरीत हालात के बावजूद मनजीत ने सेना के कोच अमरीश कुमार के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग जारी रखी जिसके बाद उन्हें राष्ट्रीय शिविर के लिए बुलाया गया.

मंत्रालय से की थी यह उम्मीद
मनजीत ने कहा, ‘‘मैंने मार्च 2016 में नौकरी गंवा दी क्योंकि ओएनजीसी ने मेरा अनुबंध बढ़ाने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं नतीजे नहीं दे रहा. इससे पहले मुझे सहायता राशि मिल रही थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब मैंने एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीत लिया है. उम्मीद करता हूं मंत्रालय मेरी उपलब्धियों और मेरी परेशानियों पर ध्यान देगा. मेरे पास कोई प्रायोजक नहीं है और ना ही कोई कंपनी मुझे सहायता दे रही है. मैं उम्मीद कर रहा हूं कि खेल मंत्रालय मझे टॉप्स में जगह देगा जिससे कि मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रख सकूं.’’

एथलेटिक्स छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन पिता ने किया प्रेरित
मनजीत ने कहा, ‘‘कुछ समय के लिए मैंने सोचा कि मैं एथलेटिक्स छोड़ दूंगा लेकिन मेरे पिता (राज्य स्तर के पूर्व गोला फेंक खिलाड़ी) ने कहा कि मुझे जारी रखना चाहिए और मैंने अपने परिवार की मामूली आय के साथ इसे जारी रखा.’’एशियाई खेलों से पूर्व अपना पिछला गोल्ड मेडल मनजीत ने 2013 में जीता था और उन्होंने स्वीकार किया की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में वह अधिकतर दूसरे स्थान पर रहे.

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