नई दिल्ली। कोबरा पोस्ट ने अपने एक सनसनीखेज खुलासे में दावा किया है कि देश के 194 नेताओं ने चुनाव आयोग को चुनाव लड़ने के लिए दी गई जानकारी में गलत पैन नंबर दिया है। पैन मतलब पर्मानेंट अकाउंट नंबर या स्थायी खाता संख्या। यह आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है और आपके तमाम आय, व्यय और संपत्ति आदि की खरीद बिक्री सब इससे जुड़े रहते हैं या जुड़े रहने चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी जांच या मिलान हो सके। आय छिपाना और बेनामी संपत्ति को रोकने के लिए पैन नंबर जरूरी है। और तो और बैंक में 50 हजार रुपए से ज्यादा नकद जमा करने पर भी पैन नंबर देना अनिवार्य है। ऐसे में इसकी महत्ता समझी जा सकती है।
दूसरी ओर, चुनावों में काले धन का उपयोग और बाद में काले धन की कमाई का हिसाब रखने के लिए भी नेताओं के पैनकार्ड का मतलब है और चुनाव आयोग का नियम है कि अपने आय-व्यय और परिसंपत्ति के विवरण के साथ दर्ज आपराधिक मामलों का विवरण भी शपथपत्र के रूप में दर्ज कराया जाए। कोबरा पोस्ट ने इन्हीं शपथ पत्रों की जांच कर मालूम किया है कि नेताओं ने आय में वृद्धि की जानकारी भले दी हो पर दो चुनाव में दो पैन नंबर दिए। कोबरा पोस्ट ने इस बात की भी जांच कर ली है कि इनमें एक गलत है। अभी कोबरा पोस्ट का पहला भाग वीडियो के रूप में आया है जो यू ट्यूबर पर है। लिंक इस खबर के साथ है।
दो बार चुनाव लड़ने वाले 194 नेताओं द्वारा दो पैन नंबर दिए जाने का पता चला है। इनमें कई नामी गिरामी नेता हैं। इनके दो पैन नंबर में एक ठीक है जबकि दूसरा गलत और दिलचस्प यह है कि ज्यादातर मामलों में गलती अंकों को आगे पीछे करने या उनमें मामूली फेर-बदल करने की है। कोबरा पोस्ट ने लिखा है कि इन कुछ गलतियां गैर इरादतन की गई हो सकती हैं पर इतनी सारी गलतियां गैर इरादतन कैसे हो सकती हैं और गलती में समानता होना तो अपने आप में चौंकाने वाला है। ऐसा करने वाले नेताओं में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी , जेडीयू, एनसीपी और हिन्दुस्तान अवामी मोर्चा शामिल है। पार्टी प्रमुखों में अभी मोर्चा के जीतन राम माझी का ही नाम आया है।
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इन नेताओं में छह पूर्व मुख्यमंत्री, 10 कैबिनेट मंत्री, आठ पूर्व मंत्री, 54 मौजूदा विधायक, 102 पूर्व विधायक, एक पूर्व डिप्टी स्पीकर, एक पूर्व स्पीकर, एक पूर्व सांसद और एक उप मुख्यमंत्री शामिल हैं। ये नेता देश की 29 छोटी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हैं। भाजपा के 41 नेता हैं। इनमें 13 विधायक, 15 पूर्व विधायक, 9 मंत्री, एक पूर्व स्पीकर, एक पूर्व मंत्री, एक पूर्व मुख्यमंत्री और एक गवरनर शामिल हैं। कांग्रेस के कुल 72 नेता हैं। इनमें 13 विधायक, 48 पूर्व विधायक, एक मंत्री, पांच पूर्व मंत्री, चार पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व डिप्टी स्पीकर हैं।
समाजवादी पार्टी के 12 नेता हैं। इनमें एक विधायक और 11 पूर्व विधायक शामिल हैं। बसपा के आठ नेताओं में एक विधायक और सात पूर्व विधायक हैं। जेडीयू के छह नेताओं में तीन विधायक, एक पूर्व विधायक एक पूर्व मंत्री और एक पूर्व सांसद हैं। बड़े नेताओं में तरुण गोगोई, भूमिधर बर्मन, जीतन राम मांझी के साथ वीरभद्र सिंह और कई मौजूदा मंत्री शामिल हैं।
मौजूदा मंत्रियों में राजस्थान की बीना काक, बिहार के नंद किशोर यादव, महाराष्ट्र के देशमुख विजय कुमार, हरियाणा की कविता जैन और हिमाचल प्रदेश के किशन कपूर प्रमुख हैं। वीडियो में नजफगढ़ दिल्ली से भाजपा विधायक अजीत सिंह का उदाहरण दिया गया है। राज्यवार ऐसे मामलों की संख्या इस प्रकार है : बिहार -26, मध्य प्रदेश 17, बिहार 15, असम 13, उत्तराखंड 14, हिमाचल प्रदेश 12, राजस्थान 11। इन नेताओं में कुछ के खिलाफ आपराधिक मामले भी हैं और नियमानुसार इसका भी शपथपत्र दाखिल है।
हिमाचल प्रदेश भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने 2007 और 2012 के चुनाव में अलग पैन नंबर दिए हैं। इसी तरह हिमाचल से ही पांच बार भाजपा विधायक और चार बार मंत्री रहे किशन कपूर ने भी 2007 और 2012 के चुनावों में अलग पैन नंबर दिए हैं। हरियाणा में कैबिनेट मंत्री कविता जैन ने 2009 और 2014 के चुनावों में अलग पैन नंबर दिया है। महाराष्ट्र में मंत्री देशमुख विजय कुमार सिद्रामप्पा ने 2009 और 2014 के चुनाव में अलग पैन नंबर दिए हैं। उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने 2007 और 2012 के चुनावों में अलग पैन नंबर दिए।
शपथपत्र के मुताबिक कौशिक की संपत्ति 2007 में 79.99 लाख, 2012 में 97.53 लाख और 2017 में 2.45 करोड़ रुपए हो गई। उज्जैन से पांच बार विधायक और चार बार मंत्री रहे पारस चंद जैन ने 2008 और 2013 में अलग पैन नंबर दिया है। 2008 से 2013 के बीच उनकी संपत्ति में चार गुना वृद्धि दिखाई गई है। 2008 में यह 1.41 करोड़ रुपए बताया गया था जो 2013 में 5.40 करोड़ रुपए बताया गया है। लेकिन पैन गलत है तो इस सूचना को क्या माना जाए?