नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच बहुप्रतिक्षित S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील पर हस्ताक्षर हो गए हैं. इस डील के तहत भारत रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के 5 सेट खरीदेगा. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय वार्ता के बाद नई दिल्ली में इस डील पर हस्ताक्षर किए गए. भारत और रूस के बीच कुल 8 समझौते हुए हैं.
इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी भारत और रूस ने करार किए हैं. भारत और रूस के बीच एस-400 के अलावा अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी समझौता हुआ. एक इंडियन मॉनिटरिंग स्टेशन साइबेरिया के पास रूस के नोवोसिबिर्क शहर में स्थापित किया जाएगा.
भारत और रूस के बीच होने वाली इस बातचीत पर पूरी दुनिया की नजर है. इससे पहले गुरुवार की शाम को पुतिन भारत के दो दिनों के दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया. इसके बाद पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और डिनर पर चर्चा की.
अमेरिका की है टेढ़ी नज़र!
अमेरिका को भारत और रूस की यही दोस्ती रास नहीं आ रही. इधर पाकिस्तान की भी इस करार पर नजर है. पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को रूस के साथ किसी तरह के महत्वपूर्ण खरीद-फरोख्त समझौते की दिशा में बढ़ने से आगाह किया और संकेत दिया है कि ऐसे मामले में वह प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर सकता है.
S-400 300 किलोमीटर की रेंज तक मार कर सकता है. यह ‘फायर एंड फॉरगेट’ की नीति पर काम करता है. S-400 जहां कई स्तर के डिफेंस सिस्टम पर काम करता है.
कितना खतरनाक है S-400 मिसाइल सिस्टम
– इस मिसाइल सिस्टम का पूरा नाम S-400 ट्रायम्फ है जिसे नाटो देशों में SA-21 ग्रोलर के नाम से पुकारा जाता है. यह लंबी दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है जिसे रूस ने बनाया है.
– S-400 का सबसे पहले साल 2007 में उपयोग हुआ था जो कि S-300 का अपडेटेड वर्जन है.
– साल 2015 से भारत-रूस में इस मिसाइल सिस्टम की डील को लेकर बात चल रही है. कई देश रूस से यह सिस्टम खरीदना चाहते हैं क्योंकि इसे अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है.
– इस एक मिसाइल सिस्टम में कई सिस्टम एकसाथ लगे होने के कारण इसकी सामरिक क्षमता काफी मजबूत मानी जाती है. अलग-अलग काम करने वाले कई राडार, खुद निशाने को चिन्हित करने वाले एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, लॉन्चर, कमांड और कंट्रोल सेंटर एक साथ होने के कारण S-400 की दुनिया में काफी मांग है.