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एस 400 डील : भारत ने लगाये एक तीर से दो निशाने

नई दिल्ली।  भारत और रूस ने अपनी दोस्ती में उस समय एक नया अध्याय जोड़ा, जब दोनों ने एस 400 डील पर साइन किए. दो दिन की भारत यात्रा पर पहुंचे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में इस अहम डील को अमली जामा पहनाया गया. ये डील इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस डील के लिए अमेरिका लगातार भारत को धमकी दे रहा था. उसका दबाव था कि अगर भारत ने रूस के साथ ये समझौता किया तो वह उस पर कड़े प्रतिबंध लगाएगा. लेकिन भारत ने उसकी तमाम आपत्तियों और चेतावनियों को दरकिनार कर दिए. शुक्रवार को दोनों देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए.

इस डील के तहत भारत रूस से 5 एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदेगा. इनकी आपूति रूस भारत को 2020 तक कर देगा. इसके अलावा स्पेस कॉपरेशन को लेकर भी दोनों देशों के बीच डील हुई है. इस डील के तहत साइबेरिया में रूसी शहर के पास भारत एक मॉनिटरिंग स्टेशन बनाएगा. भारत और रूस के लिए ये समझौता काफी अहम है.

इसलिए की भारत ने रूस से ये डील
अमेरिका ने धमकी दी थी कि ये डील हुई तो वह इसे Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) का उल्लंघन मानेगा. ऐसी सूरत में भारत को कड़े प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा. अमेरिका भारत को ईरान और नॉर्थ कोरिया की श्रेणी में रखेगा, जिन पर चीन के साथ हथियारों की डील करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन भारत ने ये डील कर एक नहीं बल्कि दो मोर्चे पर निशाना साधा है.
1. भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. कई बार मुश्किल वक्त में रूस ने भारत का साथ दिया है. लेकिन ये भी सही है कि पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच संबंधों में पुरानी वाली गर्माहट नहीं बची थी. इसी दौरान पाकिस्तान ने रूस के करीब जाने की कोशिश की. इसी कड़ी में पाकिस्तान ने रूस के साथ सैन्य अभ्यास किया था. ऐसे में भारत के लिए जरूरी था कि वह अपने पुराने रणनीतिक साझीदार से अपने संबंधों को फिर से मजबूत करे. जब भारत और रूस इस डील पर आगे बढ़े तो अमेरिका ने अड़ंगा लगाया. लेकिन भारत ने उसकी नहीं सुनी. एक बार फिर से दोनों देशों के संबंधों को नई मजबूती मिली है. अगर भारत इस डील से कदम पीछे खींचता तो जाहिर है दोनों देशों के बीच संबंधों में और खटास आती.

2. दक्षिण एशिया में चीन अपनी ताकत जैसे जैसे बढ़ा रहा है, ऐसे में भारत को भी अपने आप को मजबूत करना है. हाल ही में चीन ने तिब्बत में नए एयरबेस बनाए हैं और वहां फ़ाइटर जेट्स की स्थाई तैनाती शुरू कर दी है. चीन की मिसाइल क्षमता भी बहुत असरदार है. यानि फ़िलहाल भारत की हवाई सुरक्षा खासी कमज़ोर हालत में है. भारत के लिए S-400 की डील की आवश्यक है, ताकि भारतीय वायुसेना की हवाई हमलों से बचाव की क्षमता को बढ़ाया जा सके. इस डील से भारत ने अपनी सामरिक ताकत को और बढ़ाया है.

इसकी विशेषताएं बनाती हैं इसे खास
1. भारत, रूस से लगभग 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉतर क़ीमत में S-400 की पांच रेजीमेंट ख़रीद रहा है.
2. हर रेजीमेंट में कुल 16 ट्रक होते हैं, जिनमें 2 लांचर के अलावा 14 रडार और कंट्रोल रूम के ट्रक्स होते हैं.
3. S-400, 400 किमी की रेंज में आने वाले किसी भी फ़ाइटर एयरक्राफ्ट्स, मिसाइल या हेलीकॉप्टर को गिरा सकता है.
4. इसे आदेश मिलने के 5 मिनट के भीतर तैनात किया जा सकता है औऱ ये एक साथ 80 टारगेट्स को निशाने पर ले सकता है.
5.  ये 600 किमी की दूरी से हर किस्म के टार्गेट का पीछा करना शुरू कर देता है.
6. एक अंदाज़े के मुताबिक केवल 3 रेजीमेंट तैनात करके पाकिस्तान की तरफ़ से किसी भी हवाई हमले से बेफिक्र हुआ जा सकता है.
7. ये सिस्टम -70 डिग्री से लेकर 100 डिग्री तक के तापमान पर काम कर लेता है.
8. इसकी मारक क्षमता अचूक है क्योंकि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है.
9. 400 किमी के रेंज में एक साथ कई लड़ाकू विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइल और ड्रोन पर यह हमला कर सकता है.

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