नई दिल्ली। अपोलो हॉस्पिटल के मैनेजमेंट ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्य मंत्री जयललिता की मौत की जांच कर रहे अरुमुगास्वामी कमीशन को बताया कि आईजी केएन सथियामुर्ति उन चार पुलिस अधिकारियों में शामिल थे, जिन्होंने जयललिता के अस्पताल में भर्ती के दौरान सीसीटीवी कैमरों को बंद करने का अनुरोध किया था.
अपोलो हॉस्पिटल द्वारा दाखिल किए गए पांच पेज के हलफनामे में कहा गया है, ‘तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को उनके कमरे से ले जाने और उन्हें वापस कमरे में लाने के दौरान, गलियारे के सीसीटीवी कैमरे को बंद कर दिया जाता था.’
मौत पर सवाल
अपोलो हॉस्पिटल ने बताया कि जयललिता को जब भी कमरे से बाहर लाया जाता था तब गलियारे के सीसीटीवी कैमरे को बंद कर दिया जाता था. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उसने ऐसा पुलिस प्रशासन के कहने पर किया.
अरुमुगास्वामी कमीशन को दिए हलफनामे में अस्पताल प्रशासन ने बताया कि चार पुलिस वालों, जिसमें आईजी (इंटेलीजेंस) केएन सथियामुर्ति शामिल थे, उन्होंने सीसीटीवी कैमरे को बंद करने का अनुरोध किया था. जयललिता जब यहां भर्ती थीं, उस दौरान सीसीटीवी फुटेज नहीं होने के कारण कई सवाल उठ रहे हैं और कुछ लोगों का आरोप है कि जयललिता की षडयंत्र के तहत हत्या की गई. इसकी जांच के लिए अपोलो अस्पताल के कई डॉक्टरों से पूछताछ की गई है. जयललिता की मृत्यु पांच दिसंबर 2016 को हुई थी.
वो अस्पताल में करीब 75 दिन भर्ती रहीं. इलाज पर सवाल उठाने के बाद राज्य सरकार ने सितंबर 2017 में एक जांच आयोग का गठन किया. जांय आयोग को ये पता लगाना है कि जयललिता को किन परिस्थितियों में अस्पताल में भर्ती किया गया और उनकी मौत तक यहां क्या इलाज चला.