नई दिल्ली। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावके मद्देनजर महागठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है. येचुरी ने महागठबंधन को जमीनी हकीकत से दूर बताते हुए कहा है कि मौजूदा हालात में राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन संभव नहीं है.
येचुरी ने सोमवार को सीपीएम की तीन दिवसीय केंदीय समिति की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में पार्टी की चुनावी रणनीति के बारे में बताया, “राज्यों में स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन संभव नहीं है.” उन्होंने कहा, “पार्टी की केंद्रीय समिति ने अलग-अलग राज्यों में धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ आपसी समझ के आधार पर चुनावी सहयोग कायम करने का फैसला किया है.”
पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में चुनावी सहयोग वाले दलों में कांग्रेस को भी शामिल करने के सवाल पर येचुरी ने कहा, “सीपीएम केंद्रीय समिति ने आगामी लोकसभा और पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए तीन मुख्य लक्ष्य तय किए हैं. पहला बीजेपी को हराना, दूसरा सीपीएम को मजबूत करना और तीसरा चुनाव के बाद वैकल्पिक धर्मनिरपेक्ष सरकार का गठन करना.”
उन्होंने कहा कि इसकी प्राप्ति के लिए प्रत्येक राज्य में विभिन्न दलों के साथ सीट आधारित चुनावी सहयोग कायम किया जायेगा. येचुरी ने कहा कि त्रिकोणीय या बहुकोणीय मुकाबले वाली ऐसी सीटों पर जहां सीपीएम अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी, बीजेपी उम्मीदवार को हराने में सक्षम दल का समर्थन करेगी.
केंद्रीय समिति के अन्य फैसलों के बारे में येचुरी ने बताया कि पार्टी ने केरल के सबरीमाला मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर कांग्रेस के दोहरे चरित्र की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला मामले में कांग्रेस ने न्यायालय के फैसले का तो स्वागत किया है लेकिन केरल में बीजेपी और आरएसएस द्वारा इस फैसले के विरोध में आयोजित विरोध प्रदर्शन की भागीदार है. केंद्रीय समिति ने इससे धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बीजेपी आरएसएस की मुहिम को मिलने वाले लाभ के प्रति कांग्रेस को आगाह किया है.
येचुरी ने बताया कि केंद्रीय समिति की बैठक में बीजेपी शासित त्रिपुरा के स्थानीय निकाय चुनाव में व्यापक पैमाने पर हुई गड़बड़ियों, गुजरात में बाहरी राज्यों के लोगों पर हो रहे हमलों, असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में भारतीय नागरिकों के नाम छूटने, लड़ाकू विमान राफेल की खरीद में गड़बड़ी और जम्मू कश्मीर में सीपीएम सहित अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों की गैरमौजूदगी के बावजूद स्थानीय निकाय चुनाव कराये जाने के मुद्दे पर भी चर्चा हुयी. उन्होंने बताया कि राफेल सौदे में भारी पैमाने पर गड़बड़ियों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग को लेकर आगामी 24 अक्तूबर से वाम दलों द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मुहिम का सीपीएम भी हिस्सा होगी.