नई दिल्ली। देश में यौन उत्पीड़न के खिलाफ चल रही सोशल मीडिया कैंपेन #MeToo के तहत विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर कई महिला पत्रकारों ने आरोप लगाए हैं. महिलाओं का कहना है कि पत्रकार रहते हुए एमजे अकबर ने उनका उत्पीड़न किया है. हालांकि लंबे इंतजार के बाद इन आरोपों पर अकबर ने सफाई दी है और सभी आरोपों का बेबुनियाद और झूठा बताया है.
पूर्व में कई मीडिया घरानों में संपादक रह चुके विदेश राज्य मंत्री ने न सिर्फ महिला पत्रकारों के आरोपों को खारिज किया बल्कि आरोप लगाने वाली महिलाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी तक दी है. विदेश दौरे से लौटते ही अकबर ने बयान जारी कर कहा कि इन आरोपों से मेरी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है.
अब तक क्यों चुप थीं महिलाएं
एमजे अकबर ने 20 साल बाद आरोप लगाने पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि कई महिलाओं ने तो 20 साल पुरानी बातों का जिक्र किया है वो महिलाएं अब तक क्यों चुप थीं. जिस वक्त उत्पीड़न के आरोप लगाए गए हैं उसके बाद भी मैंने कई महिलाओं के साथ काम किया है, तब भी किसी ने क्यों कुछ नहीं बोला. किसी ने अबतक शिकायत क्यों नहीं कराई, उसकी एक ही वजह है कि मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है.
अकबर ने कहा कि ये सभी आरोप 2019 के चुनाव से पहले ही क्यों लगाए जा रहे हैं. क्या ये कोई एजेंडा है, यह आपको तय करना है. इन आरोपों के जरिए चुनाव से पहले मेरी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है.
कांग्रेस ने आरोपों की टाइमिंग पर अकबर की ओर से उठाए गए सवालों पर कहा कि अकबर कौन से जनाधार वाले नेता हैं और एक राजनेता के तौर पर उनकी छवि कुछ भी नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा कि अकबर पर लगे आरोपों के पीछे कोई भी राजनीतिक साजिश नहीं है और अगर बीजेपी इन्हीं कैबिनेट से बाहर नहीं करती है तो उसे महंगा पड़ेगा. पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि अकबर पर लगे आरोपों से किसी भी राजनीतिक दल को क्या फायदा हो सकता है. यह महिलाओं का मुद्दा और उन्होंने अपनी आवाज उठाई है.
अकबर पर आरोपों की झड़ी
बता दें कि विदेश से लौटने पर विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने कहा था कि अपने ऊपर लगे आरोपों पर वे बाद में बोलेंगे. इसके अलावा 12 अक्टूबर को जब इस मुद्दे पर अमित शाह से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि देखना पड़ेगा कि ये आरोप सच हैं या गलत. अमित शाह ने कहा था कि पोस्ट की सत्यता जांच भी जरूरी है, जिनकी ओर से ये आरोप लगाये गये हैं.
मशहूर पत्रकार और लेखक रहे एमजे अकबर कई अखबारों के संपादक रहे हैं. उनके ऊपर अब तक 11 महिला पत्रकारों ने #MeToo कैंपेन के तहत आरोप लगाए हैं. अकबर पर पहला आरोप प्रिया रमानी नाम की वरिष्ठ पत्रकार ने लगाया था जिसमें उन्होंने एक होटल के कमरे में इंटरव्यू के दौरान की अपनी कहानी बयां की थी. रमानी के आरोपों के बाद अकबर के खिलाफ आरोपों की बाढ़ आ गई और एक के बाद एक कई अन्य महिला पत्रकारों ने उन पर संगीन आरोप लगा रही हैं.