पर्रिकर एक विशेष विमान से यहां पहुंचे, फिर उन्हें एम्बुलेंस से डोना पॉला में उनके निजी निवास पर ले जाया गया. पर्रिकर को 15 सितंबर को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत के कारण राज्य में कामकाज पर पड़ते हुए असर को देखते हुए विपक्ष का हमला लगातार तेज हो रहा है.
कमेटी संभाल रही है राज्य की कमान
पर्रिकर ने यह सुनिश्चित करने के लिए शुक्रवार को पार्टी की गोवा इकाई की कोर समिति के सदस्यों और गठबंधन के सहयोगी दलों के मंत्रियों के साथ एम्स में बैठक की थी कि खराब स्वास्थ्य के कारण उनकी अनुपस्थिति के दौरान सरकार सामान्य रुप से चलती रहे.
पर्रिकर से अलग-अलग भेंट करने वाले सत्तारुढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं ने इस तटीय राज्य में नेतृत्व परिवर्तन से इनकार किया था. कोर समिति गोवा में पार्टी की अहम निर्णायक समिति है जिसमें पर्रिकर, नाईक, प्रदेश अध्यक्ष विनय तेंदुलकर आदि हैं. BJP की कोर कमेटी सोमवार को ही राज्य के राजनीतिक हालातों पर मंथन करेगी.
बढ़ रही सरकार की मुश्किल!
गोवा फॉरवर्ड के उपाध्यक्ष ट्राजनो डिमेलो ने राज्य में मछली माफिया का खुला समर्थन करने के लिए भाजपा नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया. डिमेलो ने यह कहते हुए रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया कि सरकार मछली माफियाओं का समर्थन कर रही है, जो मछलियों को संरक्षित करने के लिए फॉर्मलिन का इस्तेमाल करते हैं और राज्य में उन मछलियों को बेचते हैं.
गौरतलब है कि पर्रिकर मध्य फरवरी से ही बीमार चल रहे हैं और उनका गोवा, मुम्बई और अमेरिका समेत विभिन्न जगहों के अस्पतालों में इलाज हुआ है.
गोवा में 40 सदस्यीय विधानसभा में पर्रिकर की अगुवाई वाली सरकार को 23 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. उनमें भाजपा के 14, गोवा फारवार्ड पार्टी तथा महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी के तीन-तीन विधायक और तीन निर्दलीय विधायक हैं. विपक्षी कांग्रेस 16 विधायकों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ा दल है.
यानी अब गोवा फॉरवार्ड पार्टी के पास दो ही विधायक बचे हैं, ऐसे में बीजेपी के साथ कुल 22 विधायकों का समर्थन बचा है.