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समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का 2019 में क्या होगा ? किसको फायदा और किसे नुकसान..

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बहुत ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. एक तरफ बीजेपी है. दूसरी तरफ सपा और बसपा का गठबंधन. हालांकि, कांग्रेस को लेकर उहापोह की स्थिति फिलहाल कायम है. इस बीच शिवपाल यादव की समाजवादी सेक्युलर मोर्चा अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है. शिवपाल का कहना है कि उनका सीधा मुकाबला बीजेपी से है. लेकिन, योगी सरकार ने शिवपाल को सरकारी बंगला आवंटित किया है.

इस बीच अखिलेश यादव ने कानपुर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए शिवपाल की पार्टी को बीजेपी की बी पार्टी करार दिया. साथ में उन्होंने यह भी कहा कि अभी बीजेपी की न जाने कितनी और A, B, C, D पार्टियां सामने आएंगी. लेकिन, हमारा ध्यान लक्ष्य पर है. हम बाएं-दाएं नहीं देख रहे हैं.

shivpal Yadav
शिवपाल लगातार रोड शो कर रहे हैं.

2014 के बाद उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों पर अगर ध्यान दें तो सपा और बसपा के एकजुट होने की वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. यहां तक कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. इन दोनों सीटों पर पूर्व में योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे. उपचुनाव नतीजों से बीजेपी को इस बात का एहसास हुआ कि अगर सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ती है तो बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगा.

इधर शिवपाल यादव ने 29 अगस्त 2018 को समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन किया. उन्होंने पार्टी से उन लोगों को जोड़ना शुरू किया जो समाजवादी पार्टी के नेतृत्व से नाखुश थे या लंबे समय से जिनकी अनदेखी हो रही थी. सेक्युलर मोर्चा ने उन तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को मंच दिया. यहां सबसे बड़ा सवाल है कि चुनाव से ठीक पहले शिवपाल द्वारा नई पार्टी का गठन करना और नाखुश सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को अपने साथ करने से किसे फायदा और किसे नुकसान पहुंचेगा. साथ ही नई पार्टी का भविष्य कैसा होगा.

Shivpal Yadav
शिवपाल बार-बार दोहरा रहे हैं कि वे बीजेपी का साथ कभी नहीं देंगे.

शिवपाल कहते आ रहे हैं कि वे समाजवादी हैं, इसलिए बीजेपी का समर्थन कभी नहीं करेंगे. ऐसे में वे सपा के वोट बैंक में सेंधमारी का काम करेंगे. इसलिए, समाजवादी सेक्युलर मोर्चा से बीजेपी को फायदा और गठबंधन को नुकसान होता दिख रहा है. ऐसी भी खबर आ रही है कि सपा दिग्गज राजा भैया (रघुनाथ प्रताप सिंह) भी नई पार्टी का गठन करने जा रहे हैं. शायद इन्हीं वजहों से अखिलेश खुलेआम कह रहे हैं कि ये सभी बीजेपी की A, B, C, D पार्टियां हैं.

बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में 2014 की जीत को दोहराना बेहद जरूरी है, अगर 2019 में उसे अकेले के दम पर सत्ता में वापस लौटना है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की माने तो इस बार हम यूपी में 73+ सीटों पर जीत दर्ज करेंगे.

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