नई दिल्ली। मीटू मूवमेंट के बाद चौतरफा आलोचना में घिरे विदेश मंत्री एमजे अकबर ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. हालांकि वह अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा बता रहे हैं. ये तो आने वाले समय में ही तय होगा कि कौन सच है और कौन झूठ. मार्च 2014 में चुनाव नतीजों के आने से पहले एमजे अकबर ने सभी को चौंकाते हुए बीजेपी ज्वाइन की थी. इससे पहले वह बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के आलोचक माने जाते थे. हालांकि बीजेपी में आने से पहले भी अकबर राजनीति के लिए नए नहीं थे. वह उससे पहले कांग्रेस के साथ लंबी पारी खेल चुके थे.
अकबर की लिखी किताब ब्लड ब्रदर्स ए फैमिली सागा के मुताबिक उनका जन्म 11 जनवरी 1951 को एक बिहारी फैमिली में हुआ. उनका परिवार पश्चिम बंगाल के चंदननगर के पास तेलिनीपारा के एक जूट मिल कस्बे में रहता था. अकबर के पूर्वज हिंदू थे. उनके दादाजी का नाम प्रयाग था. लेकिन एक दंगे में उनके दादाजी को जब एक मुस्लिम परिवार ने बचाया तो उन्होंने उनसे प्रभावित होकर अपना धर्म बदल लिया. इसके बाद उनका रहमतुल्लाह हो गया. अकबर की शिक्षा कलकत्ता बॉयज स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने कलकत्ता प्रेसिडेंसी कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की. 1967-70 में उन्होंने यहीं से इंग्लिश में बीए ऑनर्स किया.
पत्रकारिता में बनाया करियर…
एमजे अकबर ने 1971 में अपना पत्रकारिता का करियर शुरू किया. उन्होंने सबसे पहले द टाइम्स ऑफ इंडिया में एक ट्रेनी के रूप में काम शुरू किया. इसके बाद वह द इस्ट्रेटेड वीकली से सब एडीटर के रूप में जुड़ गए. 1973 तक वह द इस्ट्रेटेड वीकली के साथ रहे. इसके बाद वह प्री प्रेस जर्नल की मैगजीन से जुड़े. बाद में वह कोलकाता लौट आए. देश के सबसे प्रभावशाली संपादकों में से एक रहे एमजे अकबर, द टेलीग्राफ़, द एशियन ऐज के संपादक और इंडिया टुडे के एडिटोरियल डायरेक्टर रहे हैं.
कांग्रेस से शुरू की राजनीति
अकबर 1989 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में पहली बार बिहार के किशनगंज से लोकसभा के लिए चुने गए थे. वे किशनगंज से दो बार सांसद रहे हैं. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रवक्ता भी रहे हैं. मार्च 2014 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुये हैं .
कई अहम किताबें लिखीं…
उन्होने कई पुस्तकें लिखी है, जिसमें जवाहर लाल नेहरू की जीवनी “द मेकिंग ऑफ इंडिया” और कश्मीर पर आधारित “द सीज विदिन” चर्चित रही है. वे “दि शेड ऑफ शोर्ड” और “ए कोहेसिव हिस्टरी ऑफ जिहाद” के भी लेखक हैं. उनकी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक “ब्लड ब्रदर्स” है, जिसमें भारत में घटनाओं की जानकारी और दुनिया, खासकर हिंदू-मुस्लिम के बदलते संबंधों के साथ तीन पीढ़ियों की गाथा है. उनकी यह पुस्तक “फ्रेटेली डी संग” के नाम से इतालवी में अनुवादित हुई है, जो 15 जनवरी 2008 को रोम में जारी किया गया था. पाकिस्तान में पहचान के संकट और वर्ग संघर्ष पर आधारित उनकी पुस्तक “टिंडरबॉक्स: दि पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान” जनवरी 2012 में प्रकाशित हुई है.