प्रयागराज(इलाहबाद)/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने बुधवार को कहा कि सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा से सिंचाई कराने की तैयारी की है. मंत्री ने कहा, “उत्तर प्रदेश में दो क्षेत्र बहुत सूखे हैं. इसमें एक है विंध्याचल क्षेत्र और दूसरा बुंदेलखंड क्षेत्र. बुंदेलखंड तो सालभर सूखे से प्रभावित रहता है. सरकार की योजना इन क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा से सिंचाई कराने की है.”
उन्होंने कहा, “कृत्रिम वर्षा की तकनीकी अभी तक चीन के पास ही थी. हमने चीन से संपर्क किया और चीन ने 1000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लिए 10.5 करोड़ रुपये मांगे थे. मुख्यमंत्री इसके लिए भी तैयार थे, लेकिन चीन ने अंतिम समय में यह टेक्नोलाजी देने से मना कर दिया.”
मंत्री ने कहा, “खुशी की बात यह है कि हमारे आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने 5.5 करोड़ रुपये में 1000 वर्ग किलोमीटर में कृत्रिम वर्षा की तकनीकी विकसित की और यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक नहीं है.”
उन्होंने बताया कि इस तकनीकी में जितने क्षेत्र में वर्षा करानी होती है, वहां हेलीकाप्टर से बर्फ और नमक का छिड़काव किया जाता है. फिर अंधेरा किया जाएगा और बादलों को ऊपर से उतार कर नीचे लाया जाता है.
उन्होंने कहा कि हालांकि इस वर्षा में मोटी धार को लेकर वैज्ञानिक थोड़ा चिंतित हैं. इसलिए हम पहले महोबा जैसे पथरीले क्षेत्र में यह वर्षा कराएंगे और बाद में विंध्याचल आदि को शामिल करेंगे.
प्रदेश में लुप्त होती नदियों को पुनर्जीवित करने की सिंचाई विभाग की योजना पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा, “पहली बार सरकार ने नदी संरक्षण एवं पुनर्जीविकरण प्रकोष्ठ का गठन किया जिसके अध्यक्ष सचिव सिंचाई होंगे.”
सिंह ने बताया, “उत्तर प्रदेश में हमने आठ नदियों को चिह्नित किया गया है जिनका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है और उद्गम स्थल मैदान ही है एवं ये सभी गंगा में जाकर मिलती हैं. इनमें गोमती नदी, सोत नदी, सई नदी, पंसा नदी, मनोरमा नदी, वरुणा नदी आदि शामिल हैं.”
आगामी कुंभ मेले के बारे में मंत्री ने कहा कि प्रयाग कुंभ मेले में गंगा की अविरल और निर्मल धारा सुनिश्चित करने के लिए टिहरी बांध से 2000 क्यूसेक और नरौरा बैराज से 5000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा. मुख्य पर्व मौनी अमावस्या पर अतिरिक्त 1000 क्यूसेक जलापूर्ति सुनिश्चित की जाएगी.