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बिहार : यहां के पूजा पंडाल में एक साथ हो रही है मां दुर्गा की पूजा और अल्लाह की इबादत

बगहा। जाति और धर्म को लेकर लगातार बढ़ रही नफरत की घटनाओं के बीच भाइचारे और सद्भाव की मनोरम तस्वीरें भी देखने को मिलती है. पश्चिम चंपारण के बगहा में शारदीय नवरात्र के दौरान कौमी एकता का अनूठा संगम देखने को मिला. यहां के पूजा पंडाल में देवी दुर्गा की अराधना के साथ ही नमाज भी अता की जाती है. गंगा-यमुनी तहज़ीब को लेकर शुरू से मिसाल बने बगहा में मुसलमान हिंदुओं के साथ मां दुर्गा की आरती भी करते हैं.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि और महर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि से सर्वधर्म सद्भाव का अनूठा संदेश धर्म के ठेकेदारों को समरसता का पाठ पढ़ा रहा है. पवित्र शारदीय नवरात्र के भक्तिमय माहौल में एक ऐसा शख्स भी है, जिसे अल्लाह भी प्यारा है और भगवान में भी उतनी ही श्रद्धा है.

बगहा बाज़ार निवासी अरमानी खां नव दुर्गा पूजा समिति, गोड़िया पट्टी के अध्यक्ष हैं. नवरात्र में नौ दिनों तक उपवास कर समाज के कल्याण की कामना कर रहे हैं. वह पांचों वक्त के नमाजी भी हैं. पूजा की तैयारी के बीच नमाज के लिए समय भी निकालते हैं और मां के दरबार से ही अल्लाह के समक्ष अपनी हाजिरी लगाते हैं.

पंडाल के समक्ष फलाहार कर नवरात्र का व्रत रखने वाले इस मुसलमान के दिल में हिन्दुओं के पर्व के प्रति भी उतनी ही आस्था और श्रद्धा है जितनी अपने धर्म के प्रति. आजकल अपना घर छोड़कर मंडप ही इनका आशियाना बना हुआ है. यहीं पर मां की आराधना भी करते हैं और यहीं पर नमाज भी अता करते हैं. अरमानी खान की भक्ति के कारण बगहा के नवदुर्गा पूजा समिति ने इन्हें अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. इस जिम्मेदारी से अभिभूत अरमानी खान कहते हैं, ‘मैं पिछले तीन वर्षों से नवरात्र का व्रत रख रहा हूं. राम-रहीम के देश की यही तो खूबसूरती है. हिंदू भाइयों से इतना प्यार और सहयोग मिला है कि पूछिए मत.’

अरमानी कहते हैं कि धर्म समाज को जोड़ने का माध्यम हैं. बीते करीब एक महीने से वे पूजा की तैयारी में समिति सदस्यों के साथ जुटे हैं. अल्लाह की इबादत के बाद दोपहर और संध्या पहर माता की आरती में शरीक भी होते हैं और मां का जयकारे लगाते हैं. माथे पर टोपी लेकिन चंदन टिका लगाना नहीं भूलते. बगहा जैसे कस्बाई इलाके से निकलकर सर्वधर्म सद्भाव का यह संदेश बड़े शहरों ही नहीं देश और पूरी दुनिया में फ़ैल रहा है.

बगहा के अरमानी कहते हैं की धर्म और जात पात की लड़ाई से ऊपर उठकर हमें इंसानियत को ही सर्वोचेच मानना चाहिए. मैं जिस समाज में रहता हूं, वहां कई धर्म को मानने वाले लोग हैं. मुझे अपने धर्म के प्रति आस्था है, अन्य धर्मो को भी मैं उतना ही सम्मान देता हूं. धर्म समाज को जोड़ता है, तोड़ता नहीं. सभी धर्म सामान हैं और एक ही देवता एक ही ईश्वर की अलग-अलग रूपों में पूजा और इबादत की जाती है.

अरमानी खान के सहयोग से बने पंडाल में पूजा कराने वाले पंडित आचार्य रोहित द्विवेदी का कहना है की यहां न कोई हिंदू है और न ही मुसलमान. सभी दुर्गा भक्त हिंदुस्तानी हैं. यहां मां दुर्गा की आराधना करने वाले अरमानी खान अकेले मुसलमान नहीं है. यहां के हर मुसलमान के दिल में मां के लिए ऐसी ही भक्ति है. बगहा की इसी धरती ने पिछले वर्ष मोहर्रम और दशहरा की तारीख टकराने के बाद आपस में बैठकर मोहर्रम की तारीख आगे बढ़ा दी थी. दशहरे के बाद मोहर्रम के दिन हिंदू समाज के लोग मुसलमानों की आवभगत में जुटे रहे. बीते कई वर्षो से पूजा समिति के सदस्य रहे अरमानी खां को करीब तीन साल पहले सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया.

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