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1991 में अगर चुनाव नहीं हारते तो नरसिम्हा राव की जगह एनडी तिवारी देश के प्रधानमंत्री बनते

नई दिल्ली। पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल एनडी तिवारी का दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में गुरुवार (18 अक्टूबर 2018) को निधन हो गया. कांग्रेस बड़े नेताओं में शामिल रहे एनडी तिवारी की तबीयत काफी दिनों से खराब थी. 18 अक्टूबर 1925 को जन्मे एनडी तिवारी देश के अकेले नेता है, जो दो-दो राज्यों के मुख्यमंत्री रहे. वह यूपी में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री रहे और उत्तराखंड में कांग्रेस के पहले सीएम बने. यूपी में वह कांग्रेस बड़े जननेताओं में माने जाते रहे. वह उन नेताओं में से थे जिनका सम्मान सभी पार्टियां करती थीं. 90 के दशक में जब कांग्रेस पर अल्प समय के लिए गांधी नेहरू परिवार का प्रभुत्व कम हुआ तब एक समय ऐसा भी आया, जब वह पीएम बनने के करीब थे, लेकिन चुनाव हार जाने के कारण ऐसा नहीं हो सका.

नारायण दत्त तिवारी का जन्म एक कुमाऊं परिवार में 1925 को नैनीताल जिले के बलुती गांव में हुआ था. उनके पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अफसर थे. उनकी शिक्षा अविभाजित यूपी में ही हुई. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पर्चे बांटने के आरोप में 1942 में एनडी तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें उसी जेल में रखा गया, जहां उनके पिताजी बंद थे. उनके पिताजी ने खिलाफत आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी.

कॉलेज की राजनीति से तिवारी का राजनीतिक सफर शुरू
15 महीनो तक जेल में रहने के बाद उन्हें जेल से मुक्ति मिली. 1944 में उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ज्वाइन की. एमए में उन्होंने यूनिवर्सिटी में टॉप किया. उन्होंने यहीं से एलएलबी किया. यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष चुने गए. यूनिवर्सिटी से ही एनडी तिवारी का राजनीतिक सफर शुरू हुआ. 1954 में उन्होंने सुशीला तिवारी से शादी की.

प्रधानमंत्री न बन पाने का हमेशा रहा मलाल
राजीव गांधी की मौत के बाद 1991 के चुनावों में कांग्रेस बिनी किसी बड़े चेहरे के मैदान में थी. उस समय ये माना जा रहा था कि अगर कांग्रेस ने सरकार बनाई तो पीएम नारायण दत्त तिवारी होंगे. लेकिन ऐसा हो नहीं सका. इस बात का मलाल नारायण दत्त तिवारी को आखिरी समय तक रहा. 2014 को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने स्वीकार किया था कि वह पीएम की रेस में सबसे आगे थे. 1991 के लोकसभा चुनावों में वह नैनीताल से चुनाव लड़ रहे थे. उनके प्रचार के लिए तब दिलीप कुमार भी आए थे. लेकिन नारायण दत्त तिवारी वह चुनाव हार गए. उधर पीवी नरसिम्हा राव आंध्रप्रदेश में चुनाव जीत गए और बाजी उनके हाथ लगी. नारायण दत्त तिवारी ये चुनाव मात्र 5000 वोटों से हारे थे. उनकी हार के बाद कांग्रेस ने पीएम चेहरे के रूप में राव का नाम तय किया.

एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. बतौर यूपी मुख्यमंत्री उन्होंने 1976-77, 1984-85 और 1988-89 तक तीन बार गद्दी संभाली. इसके बाद 2002 से 2007 तक उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. एनडी तिवारी केंद्र में भी मंत्री रहे हैं. 1986-87 तक वह राजीव गांधी कैबिनेट में विदेश मंत्री रहे. साथ ही 2007 से 2009 तक वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे.

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