लखनऊ। योगी सरकार ने 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती निरस्त करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के राज में शुरू की गई 32022 खेलकूद एवं शारीरिक शिक्षा अनुदेशकों की भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है. राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रद्द करने के पीछे की वजह का खुलासा करते हुए कहा कि यह भर्ती प्रक्रिया निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मापदंड के विपरीत है. इससे पहले, अक्टूबर में ही सरकार ने चार हजार उर्दू शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी थी.
अखिलेश सरकार ने शुरू की थी भर्ती प्रक्रिया
आरटीई के तहत 100 से अधिक छात्रों वाले वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक अंशकालिक अनुदेशक की नियुक्ति की जा सकती है. प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार ने बीपीएड डिग्री धारकों की मांग पर 2016 में बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से चल रहे सौ से कम छात्र वाले विद्यालयों में भी 32022 कार्यानुभव शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और खेलकूद अनुदेशकों भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी. इसके लिए 1,53,739 बीपीएड, डीपीएड, सीपीएड डिग्रीधारियों ने ऑनलाइन आवेदन किया था. इसके तहत प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक अनुदेशक को 11 महीने के मानदेय पर संविदा पर रखना था. आरटीई एक्ट के तहत जो अनुदेशक रखे गए हैं उनका मानदेय केंद्र सरकार देती है जबकि इस अनुदेशकों का मानदेय राज्य सरकार को अपने बजट से देना था.
मार्च 2017 में योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद अनुदेशकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. सरकार की दलील है कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत उन्हीं स्कूलो में खेलकूद के अनुदेशक रखे जा सकते हैं जहां छात्र संख्या 100 से ज्यादा हो. जबकि सपा सरकार ने सौ से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों में भी भर्ती प्रक्रिया शुरू की.