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CBI प्रमुख आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे चीफ जस्टिस

नई दिल्‍ली। ‘CBI बनाम CBI विवाद’ को लेकर सीबीआई डायरेक्ट आलोक वर्मा को अचानक छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा. सीजीआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ 3 जजों की पीठ आलोक वर्मा और प्रशांत भूषण की एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई करेगी.

दरअसल, एनजीओ कॉमन कॉज ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने और नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाए जाने मामले की जांच अदालत की निगरानी में कराई जाए. इसके अलावा याचिका के जरिए ये भी कहा गया है कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर लगे आरोपों की जांच भी अदालत की निगरानी में कराई जाए.

दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर आलोक वर्मा ने संभाला सीबीआई डायरेक्टर का कार्यभार

याचिका में ये भी कहा गया है कि उनका 35 साल सेवा का बेदाग रिकार्ड है और इसीलिए उन्हें दो वर्ष के लिए जनवरी 2017 में सीबीआइ निदेशक पद पर नियुक्त किया गया. उनका कहना है कि सीबीआई से उम्मीद की जाती है कि वह स्वतंत्र और स्वायत्त एजेंसी के तौर पर काम करेगी. ऐसे हालात भी आते हैं जबकि उच्च पदों पर बैठे लोगों से संबंधित जांच की दिशा सरकार की इच्छानुसार न हो. वर्मा कहते हैं कि हाल के दिनों में ऐसे मौके आये जबकि जांच अधिकारी और अधीक्षण अधिकारी से लेकर संयुक्त निदेशक और निदेशक तक सभी कार्रवाई के बारे में एक मत, सिर्फ विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का मत भिन्न था. आलोक वर्मा ने अस्थाना पर कई महत्वपूर्ण मामलों की जांचो में अड़ंगेबाजी लगाने का आरोप लगाया है और यह भी कहा है कि इसी क्रम में अस्थाना ने उनकी छवि खराब करने के लिए उन पर फर्जी आरोप लगाए जिस पर सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ एफआईआरभी दर्ज की.अस्थाना ने उस एफआईआर को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती भी दी है.

वर्मा ने कहा है कि मौजूदा परिस्थिति तक आने से जुड़े बहुत से केसों का ब्योरा है जो कि अति संवेदनशील है, इसलिए उसे याचिका में देना ठीक नहीं है.कोर्ट चाहेगा तो वे उसे मुहैया कराएंगे. याचिका में वर्मा ने भारत सरकार के अलावा केन्द्रीय सर्तकता आयोग को भी पक्षकार बनाया है. वर्मा ने कहा है कि उन्हें सीबीआइ के अधिकारियों पर पूरा भरोसा है लेकिन सरकार की इस तरह की गैरकानूनी दखलंदाजी से अधिकारियों का मनोबल गिरता है.सीबीआई को डीओपीटी से मुक्त करने और स्वायत्त करने का अनुरोध किया गया है.

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