इस्लामाबाद। आतंकियों को लेकर पाकिस्तान की हमदर्दी एकबार फिर दुनिया के सामने बेनकाब हो गई है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी और 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईदपर पाकिस्तान ने फिर दरियादिली दिखाई है। हाफिज के संगठन जमात उद-दावा (JuD) और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) को पाकिस्तान ने प्रतिबंधित संगठनों की सूची से हटा दिया है।
गौर करने वाली बात यह है कि राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी कर हाफिज के खिलाफ यह ऐक्शन लिया था, लेकिन अब पाकिस्तान की नई हुकूमत उसे आगे बढ़ाना नहीं चाहती है। आपको बता दें कि आतंकवाद पर नरमी की वजह से न केवल पाकिस्तान की साख को बट्टा लगा है बल्कि अमेरिका से मिलने वाली मदद पर भी कैंची चल गई है। ऐसे में इमरान खान सरकार से आतंकियों के खिलाफ कड़ा ऐक्शन लेने की उम्मीद भी खत्म हो गई है।
फरवरी में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने एक अध्यादेश के जरिए आतंकवाद विरोधी अधिनियम 1997 में संशोधन किया था। इसके बाद उन आतंकवादियों और संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया, जिनका नाम संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में दर्ज था। JuD और FIF भी इसी अध्यादेश के जरिए प्रतिबंधित किए गए।
सईद द्वारा दाखिल की गई याचिका के अनुसार, उसके वकील राजा रिजवान अब्बासी और सोहेल ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट को गुरुवार को बताया कि अध्यादेश अब वैध नहीं है क्योंकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार ने इसे आगे नहीं बढ़ाया है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक आतंकी घोषित हाफिज ने उस अध्यादेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसके संगठनों को ब्लैकलिस्ट किया गया। अपनी याचिका में सईद ने दावा किया था कि अध्यादेश पाकिस्तान की संप्रभुता और संविधान के खिलाफ जारी किया गया।
सईद के वकील ने हाई कोर्ट के जज आमेर फारुक को सूचित किया है कि अध्यादेश को मौजूदा सरकार ने न तो आगे बढ़ाया और न ही इसे पाकिस्तान की संसद में पेश किया गया, जिससे यह ऐक्ट बन सके। इस पर जज ने कहा कि सईद की अर्जी का कोई मतलब नहीं है क्योंकि सरकार ने अध्यादेश को आगे ही नहीं बढ़ाया।