लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा पार्टी की कमान अपने हाथों में लेने के लगभग दो साल बाद भी बुजुर्ग नेता उनके नेतृत्व को स्वीकार करने में असहज महसूस कर रहे हैं. सपा के राज्यसभा सदस्य चौधरी सुखराम सिंह ने कहा है कि सपा के संस्थापक मुलायम सिंह ही उनके नेता हैं. अखिलेश से टकराव के कारण उनके चाचा शिवपाल सिंह द्वारा नई पार्टी बनाने के बाद एक बार फिर सपा में नेतृत्व की स्वीकार्यता के बारे में उभरे सवाल पर सुखराम ने बताया ‘समाजवादी आंदोलन और फिर सपा की स्थापना के समय से ही मुलायम सिंह हमारे नेता हैं और हमेशा रहेंगे.’
सुखराम ने सपा के संस्थापकों मुलायम, शिवपाल और रामगोपाल यादव के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की है. शिवपाल के साथ निकटता के बावजूद उनकी नवगठित पार्टी का दामन थामने में संकोच के सवाल पर उन्होंने दलील दी ‘‘स्वयं शिवपाल ने भी सपा नहीं छोड़ी है, न ही उन्हें सपा से निकाला गया है. वह उत्तर प्रदेश विधानसभा में सपा के विधायक हैं. ऐसे में शिवपाल सहित हम सभी को नेताजी के निर्देश का इंतजार है. उनका जो भी निर्देश होगा, हम उसका पालन करेंगे.’’
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में 13 सदस्यों वाली सपा के सांसद के रूप में सुखराम का कार्यकाल 2022 तक है. जनवरी 2017 में अखिलेश के सपा अध्यक्ष बनने के बाद हाशिये पर पहुंचे उनके चाचा शिवपाल ने गत 29 अगस्त को समाजवादी सेक्युलर मोर्चा गठित किया था. चुनाव आयोग ने ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया’ के नाम से इसके पंजीकरण को मान्यता प्रदान की है.
सुखराम ने सपा में पिछली पीढ़ी के नेताओं में अखिलेश के नेतृत्व की स्वीकार्यता को लेकर भ्रम की स्थिति बरकरार होने से इंकार करते हुये कहा कि मुलायम, शिवपाल और रामगोपाल शुरु से ही हमारे नेता रहे हैं औेर हमेशा रहेंगे. अपने राजनीतिक भविष्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब यह विवाद उत्पन्न हुआ था, तभी हम लोगों ने नेतृत्व को लेकर मुलायम सिंह के साथ लंबी बातचीत की थी. इसमें मैंने जैसी उनकी भावना देखी, उसके अनुसार ही मैं पार्टी के लिये काम कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा.
अगले साल लोकसभा चुनाव और इसके पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में अब तक पार्टी नेतृत्व से कोई जिम्मेदारी मिलने के सवाल पर सिंह ने कहा कि नेताजी मुलायम सिंह जो भी जिम्मेदारी देंगे, उसका हम पालन करेंगे.