नई दिल्ली। अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए जनवरी, 2019 की तारीख तय की है. हालांकि ये मामला कोर्ट में पिछले 69 साल से है.
अयोध्या मामले में कुल 19 हजार दस्तावेज हैं. इन तमाम दस्तावेजों को इंग्लिश में ट्रांसलेट किया गया है. इसके साथ ही अदालती बहस की कॉपी (प्लीडिंग) पेश की गई है. इन्हीं दस्तावेजों में अयोध्या मामले का पूरा लेखा जोखा है.
90 हजार पन्नों में गवाहियां
अयोध्या मामले की 90,000 पन्नों में गवाहियां दर्ज है. ये पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित 7 भाषाओं में थे, जिन्हें अंग्रेजी में अनुवाद कर कोर्ट में पेश किया गया है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच के तीन जजों को इन्हीं दस्तावेजों के जरिए मामले पर सुनवाई करनी है और उसे के जरिए फैसला आएगा.
हिंदू-मुस्लिम मुद्दई (पक्षकार)
दरअसल अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर हैं. इनमें 8 याचिकाएं मुस्लिम पक्षकारों की ओर से और 6 हिंदू पक्षकारों की तरफ से हैं. जबकि दोनों समुदायों की ओर से 6-6 पक्षकार हैं.मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दायर की गई अपील सभी हिंदू पक्षकारों के खिलाफ है. जबकि वहीं हिंदू पक्षकारों की अपील ज्यादातर हिंदू पक्षकारों के खिलाफ हैं.
मुख्य रूप से तीन पक्षकार
पहला पक्ष- मस्जिद के अंदर विराजमान भगवान राम, जिनके पैरोकार विश्व हिंदू परीषद है.
दूसरा पक्ष– सनातन हिंदुओं की संस्था निर्मोही अखाड़ा, जो सवा सौ साल से इस स्थान पर मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई रही है.
तीसरा पक्ष-सुन्नी वक्फ बोर्ड है, जिसमें कुछ स्थानीय मुस्लिम है.
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी और वसीम रिजवी की याचिका समेत कुल 32 याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल और तीस्ता सीतलवाड़ की याचिकाएं भी शामिल थी.