नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार यानी 31 अक्टूबर को गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का लोकार्पण करेंगे. इस दौरान वहां कार्यक्रम आयोजित होगा. पूरी दुनिया की नजरें इस कार्यक्रम पर होंगी क्योंकि सरकार का दावा है कि यह प्रतिमा अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंची है. लेकिन गुजरात का एक गांव ऐसा भी है जो इस कार्यक्रम के लिए वहां पहुंचने वाले पीएम मोदी का स्वागत नहीं करेंगे. यह गांव है यहां का केवडि़या गांव.
सरदार सरोवर बांध के आसपास बसे करीब 22 गांवों के प्रमुखों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने पीएम मोदी के इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया है. उन्होंने उसमें लिखा है ‘हम आपका स्वागत नहीं करेंगे.’ उनका कहना है कि इससे इस पूरे इलाके में प्राकृतिक संसाधनों को बहुत बड़ा नुकसान होगा. इस पत्र में सभी गांव प्रमुखों के हस्ताक्षर भी हैं.
पत्र में लिखा है ‘इस इलाके में मौजूद जंगल, नदियां, झरने, भूमि और कृषि ने हम लोगों को पीढि़यों से मदद दी है. हम इन्हीं पर आश्रित थे. लेकिन अब सबकुछ तबाह हो गया है और यहां समारोह का आयोजन हो रहा है. क्या यह किसी रिश्तेदार की मौत पर खुशी मनाने जैसा नहीं है, हम तो यही महसूस करते हैं.’ गांववालों ने पत्र में पीएम मोदी से कहा है कि हम सभी 31 अक्टूबर को यहां आपका स्वागत नहीं करेंगे.
गांववालों ने पत्र में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को आम लोगों के पैसों की बर्बादी बताया है. उनका कहना है कि आम लोगों द्वारा कड़ी मेहनत से कमाए गए पैसों को इस तरह की प्रोजेक्टों पर बर्बाद किया जाता है. जबकि अभी भी इस इलाके के कई गांव आज भी स्कूल, अस्पताल और पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं.
उन्होंने लिखा है ‘अगर सरदार पटेल खुद अपनी आंखों से प्राकृतिक संपदा को बर्बाद होते और हमारे साथ अन्याय होते देखते तो वह भी रोते. जब हम अपनी समस्याएं उठाते हैं तो हमें पुलिस से प्रताड़ना मिलती है. आप हमारी गंभीर स्थिति को समझते क्यों नहीं हैं.’
इससे पहले यहां के जनजाति सामाजिक कार्यकर्ताओं ने घोषणा की थी कि सरदार सरोवर बांध के आसपास के 72 गांवों के लोग 31 अक्टूबर को खाना न पकाकर अपना विरोध जताएंगे. इनमें से एक जनजाति के मुखिया आनंद माजगावोकर ने बताया कि उन्होंने पूर्वी गुजरात की जनजातियों से अनुरोध किया है कि 31 अक्टूबर को वे सभी हमारे विरोध प्रदर्शन में शामिल हों. हमें पूरा विश्वास है कि सभी जनजातियां हमारा साथ देंगी.
कुछ लोगों ने विरोध स्वरूप पीएम मोदी और सीएम विजय रुपाणी के पोस्टर भी लगाए थे. इस पर आनंद का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यहां के लोग नाराज हैं. उन्हें किसी ने उकसाया नहीं था. हमने सिर्फ बंद को लेकर आह्वान किया था. गुजराज कांग्रेस ने भी बीजेपी सरकार पर नर्मदा नहर नेटवर्क पूरा न करने को लेकर निशाना साधा था.