नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए अन्यथा वह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. स्वदेशी जागरण मंच का यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार और आरबीआई के बीच विभिन्न मुद्दों पर तनाव बढ़ रहा है.
मंच के सह-संयोजक अश्निनी महाजन ने कहा, “आरबीआई के गवर्नर को सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिये वरना वह इस्तीफा दे सकते हैं.” उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर के साथ-साथ अन्य अधिकारियों को सरकार के साथ किसी भी तरह की असहमति होने पर सार्वजनिक तौर पर बोलने से बचना चाहिए.
महाजन ने कहा यदि सरकार के साथ किसी मुद्दे पर असहमति है तो उसे सार्वजनिक तौर पर नहीं बल्कि बैंक के निदेशक मंडल में उठाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने हाल में केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता से संबंधित मुद्दा उठाया था. उन्होंने चेताया कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता से छेड़छाड़ ‘विनाशकारी’ साबित हो सकती है.
रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को
उधर, भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को मुंबई में होगी. सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर विवाद के बीच यह बैठक बुलाई गई है. सूत्रों ने बताया कि यह बैठक पहले से तय और नियमित बैठक है. बोर्ड की पिछली बैठक इसी महीने आयोजित की गई थी. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने हाल में केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता से संबंधित मुद्दा उठाया था. उनके इस बयान के बाद यह बोर्ड की पहली बैठक होगी. रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल में कुल 18 सदस्य हैं। इनमें सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं.
सरकार ने कहा रिजर्व बेंक की स्वायत्तता जरूरी
सरकार की ओर से रिजर्व बैंक पर मतभेदों को दूर करने के लिए दबाव बनाए जाने की रिपोर्टेां को लेकर चिंतित निवेशकों को शांत करने का प्रयास करते हुये सरकार ने बुधवार को कहा कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता ‘जरूरी’ है और इसे ‘सहेज’ कर रखा जाएगा. समझा जाता है कि सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ मतभेदों को दूर करने के लिये अब तक कभी इस्तेमाल में नहीं लाई गई आरबीआई कानून की धारा सात का उल्लेख किया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विवाद में उलझने से बचते हुये कहा कि रिजर्व बैंक के साथ जो भी विचार विमर्श अथवा परामर्श होता है उसे कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है.
समूचे घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार ने रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के तहत विभिन्न मुद्दों को लेकर कम से कम तीन पत्र भेजे हैं। आरबीआई कानून की धारा सात केंद्र सरकार को सार्वजनिक हित के मुद्दों पर केन्द्रीय बैंक के गवर्नर को सीधे निर्देश जारी करने का अधिकार देती है. अपुष्ट खबरों के मुताबिक इन मतभेदों को लेकर स्थिति यहां तक पहुंच गई कि रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा देने का मन बना चुके थे. सरकार यदि कोई अप्रत्याशित कदम उठती तो ऐसा हो सकता था.