नई दिल्ली। 182 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टैचू आफ यूनिटी’ को 33 महीने के रिकॉर्ड समय में तैयार करने वाली इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन एडं टुब्रो (एलएंडटी) के एकीकृत शुद्ध लाभ में दूसरी तिमाही में 28.36 प्रतिशत का उछाल आया है. कंपनी का शुद्ध लाभ दूसरी तिमाही में 2,593.41 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में उसका मुनाफा 2,020.30 करोड़ रुपये रहा था. हालांकि, कंपनी ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर बढ़ते उतार-चढ़ाव के चलते देश में निजी क्षेत्र ने निवेश को लेकर “सतर्क” रुख अपनाया हुआ है. उसने कहा कि दिवाला समाधान के जरिये गैर- निष्पादित कॉर्पोरेट कर्ज की वसूली से कारोबारी धारण में सुधार होगा.
एलएंडटी ने बयान में कहा कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान उसकी कुल एकीकृत आय बढ़कर 32,506.10 करोड़ रुपये हो गई. एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 26,846.41 करोड़ रुपये था. इस दौरान, कंपनी का कुल खर्च 24,308.17 करोड़ रुपये से बढ़कर 29,225.10 करोड़ रुपये गया. कंपनी को दूसरी तिमाही में 41,921 करोड़ रुपये के ठेके मिले हैं. पिछले वर्ष के मुकाबले इसमें 46 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है. उसे 8,268 करोड़ रुपये के अंतरराष्ट्रीय ठेके मिले हैं, जो कि कुल ठेके का 20 प्रतिशत है. कंपनी के आधारभूत संरचना खंड को 23,406 करोड़ रुपये का ठेका मिला.
एलएंडटी ने स्वदेशी तरीके से बनाई स्टैचू ऑफ यूनिटी’
एलएंडटी ने कहा कि 2,989 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ को स्वदेशी तरीके से बनाया गया है. सड़क के प्रवेश स्थल से 182 मीटर और नदी के प्रवेश स्थल से 208.5 मीटर की दूरी पर स्थापित यह मूर्ति चीन के 153 मीटर ऊंचाई वाले स्प्रिंग मंदिर की बुद्ध की मूर्ति और न्यूयॉर्क की विश्व प्रसिद्ध ‘स्टैचू आफ लिबर्टी’ से लगभग दोगुना ऊंची है.
एलएंडटी ने कहा कि मूर्ति की संरचना 180 किमी प्रति घंटा हवा की रफ्तार के हिसाब से डिजाइन की जानी थी जो एक चुनौती भरा काम था. दूसरी चुनौती किसी काल्पनिक चरित्र के बजाय एक जीवंत किंवदंती की मूर्ति का निर्माण करना था. मूर्ति के निर्माण के लिए अभिलेखागार के संग्रह से लगभग 2,000 तस्वीरें एकत्र की गईं और एक तस्वीर को चुना गया तथा दो-आयामी तस्वीर को एक तीन-आयामी मॉडल में बदलने के लिए तकनीक का उपयोग किया गया.”
मूर्तिकार राम सुत्तार ने कड़ी मेहनत की
कंपनी ने कहा कि पटेल के किसान पृष्ठभूमि पर विचार करते हुए उनकी शाल का आकार, इसके नीचे की तरफ की गिरावट और बनावट इत्यादि को देखते हुए मूर्तिकार राम सुत्तार को यथासंभव इसे वास्तविकता के करीब लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी.
एलएंडटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रह्मण्यन ने कहा, “स्टैचू आफ यूनिटी राष्ट्रीय गौरव और एकीकरण का प्रतीक होने के अलावा भारत के इंजीनियरिंग कौशल और परियोजना प्रबंधन क्षमताओं को भी दर्शाती है. लार्सन एंड टुब्रो ने राष्ट्रीय महत्व की कई परियोजनाएं तैयार की हैं और हमें दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के निर्माण के साथ जुड़े होने का गर्व है और यह भारत के लौह पुरुष- सरदार वल्लभभाई पटेल के लिए उपयुक्त श्रद्धांजलि है.”