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उर्जित पटेल की 19 नवंबर की मीटिंग पर है सबकी नजर, ये रही पूरी डिटेल्स

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर और सरकार के बीच चल रहे तनाव भरे माहौल को देखते हुए सरकार ने अपनी तरफ से एक बयान जारी किया है. इस बयान में रिजर्व बैंक की स्वायत्तता का सम्मान किए जाने कि बात कही गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक बयान के जरिए सरकार ने दोनों की बीच चल रही तकरार को थोड़ा कम किया है. खबर है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने 19 नवंबर 2018 को बोर्ड की बैठक बुलाई है. हालांकि इससे पहले खबर आई थी कि सरकार से विवाद के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं.

लिक्विडिटी और बैंकों के लिए बेसल 3 नियमों पर चर्चा होगी

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक की बोर्ड बैठक में रिजर्व बैंक और सरकार के बीच जिन मुद्दों पर तकरार है उन पर विस्तार से चर्चा होगी. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में लिक्विडिटी और बैंकों के लिए बेसल 3 नियमों पर चर्चा होगी. वहीं सरकार ने बयान जारी कर इस बात का खंडन नहीं किया है कि उसने रिजर्व बैंक एक्ट 1934 के सेक्शन 7 का उपयोग नहीं किया है. ऐसी खबरें थी कि सरकार ने सेक्शन 7 का उपयोग करते हुए रिजर्व बैंक को पत्र भेजा था. सेक्शन 7 में कहा गया है कि सरकार रिजर्व बैंक के गवर्नर से बातचीत करने के बाद समय-समय पर जनता के हित में रिजर्व बैंक को आदेश दे सकती है. हालांकि ऐसा होना रिजर्व बैंक की स्वायत्तता में खलल है.

कई मुद्दों पर सरकार और रिजर्व बैंक में चर्चा होती है

अब सरकार ने बयान जारी कर कहा कि रिजर्व बैंक स्वायत्तता रिजर्व बैंक के एक्ट के तहत जरूरी है. कई मुद्दों पर सरकार और रिजर्व बैंक में चर्चा होती है. सरकार ने रिजर्व बैंक की स्वायत्तता का हमेशा सम्मान किया है. सरकार और रिजर्व बैंक दोनों ही जनता के हित के लिए हैं. बयान में ये भी कहा गया है कि दूसरे सभी रेगुलेटर के मामलों में भी यही प्रक्रिया है. भारत सरकार ने इन चर्चाओं को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया. सिर्फ अंतिम फैसले की जानकारी ही सार्वजनिक की जाती है. सरकार चर्चा के दौरान सामने आए मुद्दों के आकलन के आधार पर सुझाव देती है और सरकार यह प्रक्रिया जारी रखेगी.

क्या है RBI एक्ट की धारा 7 ?

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिनियम के तहत धारा 7 इन दिनों सुर्खियों में हैं. इस धारा के तहत सरकार ‘जनहित’ में आरबीआई को सरकार निर्देश दे सकती है. हालांकि अब तक भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 7 (1), सरकार ने कभी इस्तेमाल नहीं किया है. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल इस धारा के तहत एक विशिष्ट दिशा निर्देश जारी किए जाने पर इस्तीफा दे सकते हैं.

सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने आरबीआई के गवर्नर को केंद्रीय बैंक के साथ मतभेदों के समाधान करने की दिशा में पहले कभी इस्तेमाल नहीं की गई शक्ति का हवाला दिया है. इसके अलावा, धारा 7 (2) सरकार को यह शक्ति देता है कि वो भारतीय रिजर्व बैंक को अपने केंद्रीय निदेशक मंडल के तहत चलाए. इस तरह के किसी भी दिशा के अधीन, बैंक के मामलों और व्यापार की सामान्य अधीक्षण और दिशा को केंद्रीय निदेशक मंडल को सौंपा जाएगा जो सभी शक्तियों का उपयोग कर सकता है और बैंक द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यों को कर सकता है.

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