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पाकिस्‍तान की वह ईसाई महिला जिसके लिए मुल्‍क में जगह नहीं

इस्‍लामाबाद। आठ साल तन्‍हाई में कैद काटने के बाद आसिया बीबी को सुप्रीम कोर्ट ने भले ही आजाद कर दिया लेकिन अब उनके पास अपने मुल्‍क पाकिस्‍तान में रहने के लिए सुरक्षित जगह नहीं है. ईशनिंदा के मामले में फांसी की सजा का सामना कर चुकीं आसिया के पति आसिक मसीह ने ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा जैसे मुल्‍कों से उनके परिवार को शरण देने की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि आसिया समेत पूरे परिवार को पाकिस्‍तान में जान का खतरा है.

इस बीच विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर अपनी जान के खतरे की आशंका में आसिया बीबी का वकील शनिवार की तड़के पाकिस्तान से भाग गया और उसने सरकार से अपने परिवार की सुरक्षा किये जाने का आग्रह किया है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार उनके वकील सैफुल मलूक ने दावा किया कि वकीलों के एक समूहों से वह जान के खतरे का सामना कर रहे हैं और इस तरह की स्थिति में उसके लिए प्रैक्टिस करना मुश्किल हो रहा है.

हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि सेना उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराती है तो वह समीक्षा याचिका की सुनवाई के दौरान अपनी मुवक्किल की पैरवी करने के लिए पाकिस्तान लौटेंगे. मलूक ने कहा,‘‘मेरा परिवार भी गंभीर सुरक्षा खतरे का सामना कर रहा है और संघीय सरकार को उन्हें सुरक्षा उपलब्ध करानी चाहिए.’’

ईशनिंदा मामला: आसिया बीबी के वकील ने छोड़ा पाकिस्तान, जान से मारने की मिली थी धमकी

आसिया नौरीन उर्फ आसिया बीबी (47)
दरअसल पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बुधवार को ईशनिंदा की आरोपी ईसाई महिला आसिया बीबी की फांसी की सजा को पलट दिया. अपने पड़ोसियों के साथ विवाद के दौरान इस्लाम का अपमान करने के आरोप में 2010 में आसिया बीबी को दोषी करार दिया गया था. उन्होंने हमेशा खुद को बेकसूर बताया हालांकि बीते आठ वर्ष में उन्होंने अपना अधिकतर समय एकांत कारावास में बिताया.

बीबी पर 2009 में ईशनिंदा का आरोप लगा था और 2010 में निचली अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी जिसे 2014 में लाहौर हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने इसी फांसी की सजा को पलट दिया.

ईशनिंदा
आसिया बीबी का मामला सुर्खियों में तब आया जब देश के पंजाब प्रांत के गर्वनर रहे सलमान तासीर की 2011 में ईशनिंदा कानून की आलोचना और बीबी का समर्थन करने के चलते हत्या कर दी गई. तासीर की हत्या के एक महीने बाद पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की इस्लामाबाद में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. ईसाई मत को मानने वाले भट्टी ने भी इस कानून की निंदा की थी.

पाकिस्तान की 19 करोड़ 70 लाख की आबादी में महज 40 लाख ईसाई हैं जबकि हिन्दू सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक समूह है.

देश में तनाव व्‍याप्‍त
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर समर्थन बेहद मजबूत है और आसिया बीबी के मामले ने लोगों को अलग-अलग धड़ों में बांट दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में तनाव व्‍याप्‍त हो गया. ये विरोध प्रदर्शन तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान और दूसरे समूहों के नेतृत्व में हो रहे हैं. इन लोगों ने देश के कई इलाकों में मुख्य राजमार्गों और रास्तों में जाम लगा दिया.

इन प्रदर्शनों से पंजाब प्रांत सबसे अधिक प्रभावित रहा. यहां स्कूलों को बंद कर दिया गया और सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट की पूरक परीक्षाएं रोक दी गई. इसके अलावा सिंध और खैबर पख्तूनवा में निजी स्कूल बंद हो गये और अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने कट्टरपंथियों को सरकार से टकराव मोल नहीं लेने और तोड़फोड़ की हरकतें नहीं करने को कहा. पाकिस्तानी सेना ने भी  शुक्रवार को सैंकड़ों कट्टरपंथियों को चेतावनी दी कि वे उसके “धैर्य” का इम्तिहान न लें और बल प्रयोग से बचने के लिए शांति पूर्वक अपने प्रदर्शनों को समाप्त कर दें. आखिरकार सरकार के साथ हुए समझौते के बाद मामला शनिवार को शांत जरूर हुआ है लेकिन आसिया बीबी की जान पर मंडराता खतरा टला नहीं है.

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