मुंबई। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी पर निशाना साधा है. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने अपने कॉलम ‘रोकठोक’ मे बीजेपी पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि सबरीमाला मंदिर महिलाओं के लिए खोले जाने संबंधी कोर्ट के फैसले को बीजेपी मानने से इनकार कर रही है. यही बीजेपी महाराष्ट्र के कोल्हापुर की अंबाबाई और शनि शिंगणापुर मंदिर के मामले में कोर्ट के फैसले के साथ खड़ी दिखी थी. सामना में यह भी लिखा गया है कि कल तक देश में मस्जिदों की राजनीति की गई, अब मंदिरो की राजनीति शुरू है. जो हिंदुत्ववादी राम मंदिर पर खुलकर बोलने से कतराते हैं वे राम मंदिर का मुद्दा न्यायालय में है, ऐसा कहकर भाग जाते हैं.
मुखपत्र में लिखा गया है कि बीजेपी के जो नेता सबरीमाला मंदिर का निर्णय मानने को तैयार नहीं हैं, न्यायालय श्रद्धा व आस्था के मुद्दों में छेड़छाड़ न करे, ऐसा खुलेआम कहते हैं तो हैरानी होती है.
सामना में लिखा है, ‘हमारा हिंदुस्तान एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, लेकिन धर्म की राजनीति जितना हम करते हैं, उतना कोई नहीं करता होगा, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का सवाल 25 वर्षों से पेंडिंग है. हर चुनाव में अब राम मंदिर पर राजनीति होती है, लेकिन मंदिर बिल्कुल भी नहीं बनता.’ आगे लिखा गया है कि राजनीतिज्ञ अपनी सुविधानुसार श्रद्धा के मुद्दे पर कैसे राजनीति करते हैं, इसका एक और उदाहरण मतलब केरल का सबरीमाला मंदिर है. हिंदू धर्म से संबंधित रूढ़ि और परंपराओं का सख्ती से पालन करनेवाला यह मंदिर है, यहां महिलाओं की एंट्री प्रतिबंधित है.
महाराष्ट्र स्थित महालक्ष्मी मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं है, शनि शिंगणापुर के चबूतरे पर महिलाओं का जाना निषेध था उसी तरह केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं पर पाबंदी है, सर्वोच्च न्यायालय में यह प्रकरण गया और कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को जाने से न रोका जाए, ऐसा आदेश दिया, मंदिर महिलाओं के लिए खोल दिया गया. इस पर केरल में लोग भड़क गए, सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ महिलाएं ही सड़कों पर उतरीं और उन्होंने केरल में जनजीवन ठप कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को अमल में लाने में प्रशासन असक्षम सिद्ध हुआ और निर्णय अधूरे में ही लंबित रह गया, जो हिंदुत्ववादी राम मंदिर पर खुलकर बोलने से कतराते हैं वह राम मंदिर का मुद्दा न्यायालय में है, ऐसा कहकर भाग जाते हैं. बीजेपी के वे नेता सबरीमाला मंदिर का निर्णय मानने को तैयार नहीं हैं.