Wednesday , May 15 2024

लीजेंड्स मैच के दौरान हुआ था तेंदुलकर और शेन वॉर्न के बीच मतभेद

नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर और शेन वॉर्न के बीच मैदान पर कड़ी टक्कर रहती थी, तो वहीं मैदान के बाहर दोनों का एक दूसरे के लिए सम्मान किसी से छुपा नहीं है. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज के मुताबिक 2015-16 में अमेरिका में हुए प्रदर्शनी मैचों को लेकर दोनों के बीच मतभेद हो गया था.

अपनी किताब में कहीं ये बातें
शेन वार्न ने अपनी आत्मकथा ‘नो स्पिन’ में इस वाकये का जिक्र करते हुए लिखा है, कि उनके और तेंदुलकर की योजना केे तहत अमेरिका में एक सालाना टूर्नामेंट शुरू किया गया. लेकिन उसके प्रबंधन को लेकर दोनों के बीच मतभेद के कारण पहले सत्र के बाद इसका आयोजन नहीं हो सका. इस मुद्दे पर जब तेंदुलकर से संपर्क किया तो उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.

शेन वॉर्न ने लीजेंड्स प्रदर्शनी मैचों का जिक्र किया है. इसका आयोजन 2015 में न्यूयॉर्क, ह्यूस्टॉन और लॉस एंजिलिस में हुआ था. इसमें ब्रायन लारा, ग्लेन मैक्ग्रा और सौरव गांगुली जैसे दिग्गज खेले थे. उन्होंने अपनी किताब में साफ किया कि तेंदुलकर ने इस टूर्नामेंट के पूरी खर्च की जिम्मेदारी उठाई, लेकिन वह उन लोगों से प्रभावित नहीं थे, जिन्हें तेंदुलकर ने प्रबंधन के लिए चुना था.

वॉर्न ने लिखा, ‘तेंदुलकर संजय नाम के एक व्यक्ति को लेकर आए थे, जो मेंटोर और व्यवसायिक सलाहकार थे. मैंने उन्हें अपनी परिकल्पना बताई और स्लाइड शो दिखाया. उन्हें यह काफी पसंद आया. इसके बाद उन्होंने अमेरिका के बेन स्टर्नर को अपने साथ जोड़ा. तेंदुलकर इस बात पर अड़े थे, कि सभी चीजों का संचालन उनकी टीम करे.’ स्टर्नर एक खेल कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जबकि संजय की पहचान जाहिर नहीं हो पाई है.

उन्होंने आगे लिखा, ‘मैंने कहा, यह मेरी परिकल्पना है. मुझे पता है कि मैं इससे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को जोड़ सकता हूं और मैं आप से बराबर की हिस्सेदारी करने को तैयार हूं. मैंने सुझाव दिया कि इसके आयोजन के साथ अनुभवी लोगों को जोड़ा जाए और हम दोनों (तेंदुलकर और वॉर्न) के दो-दो प्रतिनिधि इसमें रहें.’

तेंदुलकर का दो टूक जवाब
वॉर्न के मुताबिक, तेंदुलकर ने कहा, ‘नहीं मेरे पास संजय और बेन है. मैं उनके जवाब से असहज था, लेकिन इस बात को लेकर आश्वस्त भी था कि ‘मैं और तेंदुलकर मिल कर इसका आयोजन कर सकते है. इसलिए मैं तैयार हो गया.’ वॉर्न ने लिखा, ‘मैं तेंदुलकर को 25 साल से जानता हूं और उन्होंने मैदान के बाहर भी शानदार काम किया है, इसलिये मुझे लगा कि उनका व्यवसायिक पक्ष ठीक तरह से संगठित होगा. हालांकि बाद में मुझे इसका पछतावा हुआ.’

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