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CBI Vs CBI की जंग हुई तेज: तबादले के खिलाफ एक और अफसर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में चल रही अंदरूनी जंग दिनोंदिन तेज होती जा रही है. सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, निदेशक आलोक वर्मा, डीएसपी एके बस्सी के बाद अब सीबीआई का एक और अधिकारी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. ताजा मामला सीबीआई के डिप्टी एसपी अश्वनी कुमार गुप्ता का है, जिन्होंने अपने ट्रांसफर ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

अश्वनी कुमार गुप्ता ने कहा कि वो स्टर्लिंग बायोटेक सीबीआई केस की जांच कर रहे थे, जिसमें राकेश अस्थाना की भूमिका भी संदिग्ध है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसी केस के चलते उनका ट्रांसफर किया गया है. गुप्ता से पहले राकेश अस्थाना के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाले सीबीआई के डीएसपी एके बस्सी का ट्रांसफर अंडमान कर दिया गया था, जिसके खिलाफ वो भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हुए हैं.

इससे पहले रिश्वतखोरी विवाद में सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा और जांच एजेंसी में नंबर दो राकेश अस्थाना को 23 अक्टूबर को छुट्टी पर भेज दिया गया था, जिसके खिलाफ दोनों ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है.

वहीं, शुक्रवार को आखिरी बार सीबीआई में चल रही अंदरूनी कलह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें शीर्ष अदालत ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) रिपोर्ट की कॉपी सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को देने का आदेश दिया था, जिस पर उन्हें सोमवार तक जवाब देना होगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 20 नवंबर तय कर दी थी.

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के जवाब के बाद अब इस मामले में कोई फैसला आ सकता है. उन्हें सोमवार तक जवाब देना है. मंगलवार को अगली सुनवाई होगी. इससे पहले CVC और जस्टिस पटनायक ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी. इनकी रिपोर्ट मिलने के बाद शुक्रवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि सीवीसी ने दस्तावेज के साथ पूर्ण रिपोर्ट सौंपी है. हालांकि रिपोर्ट के मामले में कुछ मुद्दे बेहद पेंचिदा हैं. कुछ और आरोपों की जांच की जरूरत है.

शुक्रवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार को कोई दिक्कत नहीं होगी, तो हम आलोक वर्मा के वकील को रिपोर्ट की सीलबंद कॉपी देंगे. आपको सीलबंद लिफाफे में जवाब देना होगा. हालांकि कोर्ट ने राकेश अस्थाना को रिपोर्ट की कॉपी नहीं देने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा था कि अंतरिम निदेशक के रूप में नागेश्वर राव ने किसी तरह का कोई गलत फैसला नहीं लिया. इस बारे में अगली सुनवाई में विचार किया जाएगा. एनजीओ नागेश्वर राव के फैसलों पर कोई सबूत नहीं दे पाया. एक्टिंग डायरेक्टर के फैसलों पर अगर कोई और सामग्री हो तो वो भी पेश की जाए.

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