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यदि बसपा के प्रत्‍याशी कमजोर होंगे, हम उनका समर्थन करेंगे: भीम आर्मी नेता चंद्रशेखर आजाद

लखनऊ। यूपी की सियासत में दस्‍तक दे रहे भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने एक दिसंबर से मुजफ्फरनगर से नए आंदोलन की घोषणा की है. मई, 2017 में सहारनपुर जिले में दलितों और ठाकुरों के बीच संघर्ष के बाद आजाद पहली बार सुर्खियों में आए. उसके बाद उनके खिलाफ रासुका समेत कई मामले दर्ज हुए. एक साल से अधिक वक्‍त जेल में बिताने के बाद इस साल सितंबर में जेल से रिहा हुए. हालांकि उसके पहले कैराना लोकसभा उपचुनाव में जेल के भीतर से ही बीजेपी के खिलाफ सपा, बसपा महागठबंधन के प्रत्‍याशी का समर्थन किया था.

जेल से रिहा होने के बाद 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को हराने का संकल्‍प लेने वाले चंद्रशेखर आजाद ने द इंडियन एक्‍सप्रेस को‍ दिए एक इंटरव्‍यू में कहा कि जहां भी बसपा के प्रत्‍याशी के कमजोर होंगे, वहां उनका समर्थन करेंगे. दरअसल उनसे पूछा गया कि जमीनी स्‍तर पर तो उनके संगठन भीम आर्मी और बसपा के कार्यकर्ता आमने-सामने दिखते हैं तो ऐसे में क्‍या वह बसपा का समर्थन करेंगे?

इसका जवाब देते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा, ”बसपा एक राजनीतिक दल है और उसके नेता तय करेंगे कि काडर को क्‍या काम सौंपा जाए. हमने अपने काडर को शिक्षा और उत्‍पीड़न का शिकार पीडि़तों की मदद करने का जिम्‍मा सौंपा है…मैं एक सामाजिक आंदोलन का हिस्‍सा हूं. यदि मुझे लगता है कि बसपा का प्रत्‍याशी कमजोर है तो वहां हम उनका समर्थन करेंगे. हम यहां कमजोर तबके की मदद के लिए हैं.”

बसपा और भीम आर्मी
इसी कड़ी में उनसे पूछा गया कि आपने तो हमेशा प्रधानमंत्री के लिए मायावती के नाम का समर्थन किया लेकिन बसपा, भीम आर्मी को पसंद क्‍यों नहीं करती? इसका जवाब देते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा, ”ये उनकी निजी पसंद का मामला है. ये उनके सोचने का तरीका है. मैं सामाजिक क्रांति को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा हूं. मुझे नहीं पता कि वह (मायावती) क्‍या सोचती हैं. लेकिन मैंने पहले ही स्‍पष्‍ट किया है कि यदि मेरे ऊपर चीजें छोड़ दी जाएं तो मैं मोदी जी को हटाकर तत्‍काल उनको प्रधानमंत्री बना दूंगा. कुल मिलाकर ये मामला अपनी पसंद का है. लेकिन यह एक लोकतांत्रिक देश है और हमको कुछ निश्चित नियमों का अनुसरण करना होगा.”

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