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बिहार के सभी शेल्टर होम की हो सकती है सीबीआई जांच, सुप्रीम कोर्ट में कल फिर होगी सुनवाई

नई दिल्ली/पटना। बिहार के 14 शेल्टर होम में बच्चों के शोषण, यौन दुर्व्यवहार, अप्राकृतिक यौनाचार जैसे मामलों में ज़रूरी कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है. यह शर्मनाक है. कोर्ट ने कहा कि मुजफ्फरपुर जैसे कई मामले सामने आने की आशंका है. कोर्ट ने कहा कि CBI को सभी केस सौंपा जा सकता है.

कोर्ट ने राज्य सरकार को 24 घंटे में कार्रवाई रिपोर्ट देने के निर्देश दिए. कोर्ट ने जांच एजेंसी के एडवोकेट से कहा कि कल तक पूछकर बताएं कि क्या सीबीआई सभी 14 शेल्टर होम की जांच को तैयार है.

Supreme Court slams Bihar government in shelter home case.

मंगलवार को सुनवाई के दौरान बिहार के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ नरम रुख क्यों अख्तियार किया गया? कोर्ट ने पूछा कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉस्को एक्ट को क्यों नहीं जोड़ा गया? कोर्ट ने इसके लिए भी बिहार सरकार को 24 घंटे का वक्त दिया है. सुप्रीम कोर्ट मामले पर कल फिर सुनवाई करेगा.

इससे पहले सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर की थी. रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है, जांच में बाधा पहुंचा सकता है, उसे बिहार के बाहर की जेल में शिफ्ट करना सही रहेगा. सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को बिहार से पटियाला जेल शिफ्ट कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंजू वर्मा की गिरफ्तारी न होने पर बिहार के डीजीपी को तलब किया थ.हालांकि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती का ही असर था कि मंजू वर्मा ने आत्मसमर्पण कर दिया.

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गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम को एक बच्ची का कंकाल मिला था. महिला व बाल विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव ने कोर्ट को बताया था कि बाल यौन उत्पीड़न मामले को लेकर पुनर्वास, बालगृहों में सुविधाएं और बाल संरक्षण नीति पर काम चल रहा है. न्यायमित्र अर्पणा भट्ट ने कहा था कि स्कूल हो या शेल्टर होम, बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं. सरकार को जल्द बाल संरक्षण नीति लागू करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि वह राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों की एक संस्था बनाए, जो बच्चों से यौन उत्पीड़न के मामलों पर गौर करे. सरकार ने कहा था कि इस बारे में तीन हफ्ते में निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराया जाएगा. कोर्ट ने बाल संरक्षण के लिए जल्द अंतरिम दिशा निर्देश जारी करने को कहा था.

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