नई दिल्ली। चीन ने आखिरकार मान ही लिया कि पीओके पाकिस्तान का नहीं बल्कि भारत का अभिन्न हिस्सा है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि 23 नवंबर को चीन के सरकारी न्यूज चैनल CGTN ने कराची में चीनी दूतावास पर हुए हमले की खबर दिखाई थी. इसी दौरान पाकिस्तान का नक्शा दिखाते हुए चीन के चैनल ने पीओके को भारत में दिखाया था. बता दें कि CGTN चीन का सरकारी चैनल है और इस चैनल पर वहीं खबरें चलती हैं जिसपर चीन की सरकार की मंजूरी होती है.
चीन की पाकिस्तान को सीधी चेतावनी
चीन मामलों के जानकारों का कहना है कि इसे साफतौर पर चीन की पाकिस्तान को चेतावनी माना जा सकता है. विशेषज्ञों की मानें, तो चीन इस तरह से पाकिस्तान को चेताना चाहता है कि पाकिस्तान में चीनी दूतावास पर हुआ हमला गलत है. साथ ही आगे से चीन के दूतावास पर किसी तरह का आतंकवादी हमला बर्दाश्त नही किया जाएगा. विशेषज्ञों के अनुसार, हम इसे भारत और चीन के मजबूत होते संबंधों के तौर पर भी देख सकते हैं.
भारत शुरू से ही जता रहा है सीपेक पर ऐतराज
इसे भारत की एक बड़ी जीत के तौर पर देखा जा सकता है. भारत के लिए यह खुश होने का मौका है. बता दें कि चीन ने अगर POK को भारत की सीमा में दिखाया है, तो कुछ सोच समझकर ही ऐसा किया होगा. हालांकि, इसके पीछे चीन की मंशा क्या है, यह अभी साफ नहीं है. गौरतलब है कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपेक) में चीन ने भारी-भरकम निवेश किया है. वहीं, पीओके में सीपेक पर भारत शुरू से ऐतराज जताता रहा है. ऐसे में बिना भारत को साथ लिए चीन सीपेक के सफल होने का ख्वाब नहीं देख सकता है. कहा जा रहा है कि शायद इसीलिए चीन ने पीओके को भारत का हिस्सा माना है.
जी-20 शिखर सम्मेलन में होगी पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात
डोकलाम को छोड़ दें, तो पिछले चार साल में भारत और चीन के बीच कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई मौकों पर एक दूसरे से गर्मजोशी से मुलाकात कर चुके हैं.वहीं, 28 नवंबर से 2 दिसंबर तक चलने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में दोनों फिर एक दूसरे से मिलने वाले हैं. ऐसे में चीन की तरफ से ये भारत के साथ मजबूत होते रिश्ते की अगली कड़ी हो सकती है.