संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले साल करीब एक लाख 20 हजार बच्चे और किशोर एचआईवी संक्रमण से पीड़ित पाए गए. यह संख्या दक्षिण एशिया के किसी भी देश में एचआईवी पीड़ितों की सबसे ज्यादा संख्या है. यूनिसेफ ने चेताया है कि अगर इसे रोकने की कोशिशें तेज नहीं की गईं तो 2030 तक हर दिन दुनियाभर में एड्स की वजह से 80 किशोरों की मौत सकती है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया ने बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और माताओं में एचआईवी की रोकथाम के लिए जरूरी प्रयास किए हैं.
पीटीआई के मुताबिक गुरुवार को जारी यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘चिल्ड्रन, एचआईवी और एड्स : द वर्ल्ड इन 2030’ के मुताबिक पाकिस्तान में 5800, उसके बाद नेपाल में 1600 और बांग्लादेश में करीब 1,000 लोग एचआईवी का शिकार हैं. वहीं, 2010 की तुलना में साल 2017 में पांच साल तक की आयु वाले एचआईवी संक्रमित बच्चों की संख्या में 43 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं, इसी साल 0 से 14 वर्ष के जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) पा रहे पीड़ितों का हिस्सा 73 प्रतिशत था जो 2010 के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा है.
रिपोर्ट कहती है कि ताजा रुझानों से एड्स से संबंधित मौतों और नए संक्रमणों की गति धीमी होने के संकेत मिलते हैं लेकिन, पुराने मामलों में कमी कम देखी जा रही है. इस पर यूनिसेफ प्रमुख हेनरिता फोरे ने कहा, ‘रिपोर्ट से साफ होता है कि दुनिया में 2030 तक बच्चों और किशोरों के बीच एड्स को खत्म करने के प्रयास पटरी पर नहीं हैं.’