नई दिल्ली। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भारी-भरकम बैग और होमवर्क से निजात दिलाने वाले केंद्रीय संसाधव मंत्रालय की गाइडलाइन के बाद दिल्ली सरकार की ओर से सभी स्कूलों को एक सर्कुलर जारी किया गया है. सर्कुलर के मुताबिक, अब 1 और 2 के छात्रों को अब होमवर्क नहीं करना पड़ेगा.
साथ ही पहली और दूसरी क्लास के बच्चों के बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से ज्यादा नहीं होगा. जबकि 3 और 4 क्लास के बच्चों के बैग का वजन 2 से 3 किलो निर्धारित किया गया है. क्लास 6वीं और सातवीं का 4 किलो, आठवीं से नौवीं कक्षा के छात्रों का बैग का वजन साढ़े चार किलो वजन, कक्षा दसवीं में पढ़ने वाले विद्यार्थी के बैग का वजन केवल पांच किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
बच्चों के शरीर पर पड़ता है असर
दिल्ली सरकार की ओर से जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को सिर्फ हिंदी, इंग्लिश और गणित की कॉपियां लेकर जानी होगी. वहीं, छठी से दसवीं कक्षा तक के बच्चों का टाइमटेबल इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए, ताकि वह कम से कम कॉपियों को स्कूल लेकर जाएं.
क्या कहता है स्कूल बैग का सर्वे
एक सर्वे के मुताबिक देश के स्कूलों में पढ़ने वाले 13 वर्ष की आयु के 68 प्रतिशत बच्चेपीठ दर्द समस्या से पीड़ित हैं. कानून के अनुसार किसी भी स्कूल जाने वाले छात्र के बैग का वज़न उसके शरीर के भार का सिर्फ 10 प्रतिशत या उससे भी कम होना चाहिए. लेकिन देश के 88 प्रतिशत बच्चे अपने शरीर के वज़न के 45 प्रतिशत वज़न के बराबर का बोझ स्कूल बैग के रूप में उठाते हैं.