नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से गुरुवार को रिटायर हुए जस्टिस कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जनवरी में प्रेस कांफ्रेंस करने का अफसोस नहीं है क्योंकि प्रेस कांफ्रेंस संस्था के हित के लिए किया था.पत्रकार ने जब सवाल किया कि क्या चीफ जस्टिस के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने का खेद है?.तब जस्टिस जोसेफ ने जवाब में कहा कि कोई खेद नहीं है, ऐसा इसलिए किया क्योंकि कोई रास्ता नहीं बचा था.
दूसरा सवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद क्या अब सब कुछ ठीक हो गया? जस्टिस जोसेफ ने जवाब दिया कि अभी सब कुछ ठीक नहीं हुआ, उसमे वक़्त लगेगा. लेकिन ट्रांसपरेंसी की शुरुआत हो गई है. तीसरा सवाल आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बजाए, फूल कोर्ट रेफेरस क्यों नहीं बुलाया? जस्टिस जोसेफ ने जवाब दिया कि जज फुल कोर्ट रिफरेन्स नहीं करवा सकते. ये फैसला चीफ जस्टिस ही ले सकता है.उस वक्त उनसे ( तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से ) कई बार इसके लिए आग्रह भी किया गया था. कुछ पत्रकारों के सवाल का जस्टिस कुरियन ने ऐसे दिया जवाब
सवाल: क्या न्यायपालिका पर सरकार का दबाव महसूस करते है
जवाब: जस्टिस जोसेफ: जहां तक एक जज के अपने न्यायिक अधिकार के इस्तेमाल की बात है, उस पर सरकार के दबाव को उन्होंने महसूस नहीं किया. पर हां, कई बार जजों की नियुक्ति, ट्रांसफर से जुड़ी फाइलों को क्लियर करने में सरकार की ओर देरी होती है.
सवाल: सुप्रीम कोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर में कोई बदलाव की भविष्य में उम्मीद?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम बहुत छोटे है.उस अनुपात में, जितनी संख्या में यहां केस और उससे जुड़े लोग आते है.
सवाल: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया पर (अयोध्या मामले को लेकर BJP नेताओं के बयान पर)
जवाब: एक बार जब कोई सुप्रीम कोर्ट का जज फैसला सुनता है, तो वो law of the land बन जाता है। ऐसे राजनीतिक दलों को संशय की स्थिति में स्पष्टीकरण के लिए कोर्ट का रुख करना चाहिए. जनहित याचिकाओं पर पूछे गए सवाल पर जस्टिस जोसेफ का जवाब: बिना मतलब के मुद्दों पर जनहित याचिका दायर कर कोर्ट का कीमती वक़्त बर्बाद होता है.सुप्रीम कोर्ट को उन मुद्दों पर खुद को केंद्रित करना चाहिए, जो सीधे जनहित से जुड़े है.
दरअसल, जस्टिस कुरियन जोसेफ के रिटायर होने के दूसरे दिन उनका जन्मदिन था और पत्रकारों ने उनके घर पर उनका जन्मदिन मनाया.आपको बता दें कि जनवरी में जब चार जजों ने तत्कालीन चीफ जस्टिस के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस की थी तो उसमें जस्टिस कुरियन जोसेफ भी शामिल थे.