प्रभात रंजन दीन
सरकारी विमान घन्न-घन्न, चुनाव प्रचार दन्न-दन्न
तीन राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार पर उत्तर प्रदेश के सरकारी खजाने का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधिक समय आसमान पर ही रहते हैं. यूपी का शासन-प्रशासन मुख्यमंत्री की हवाई यात्राओं और हवाई सर्वेक्षणों से चल जाता है. सरकार के मुखिया के बतौर मुख्यमंत्री का सारा काम-काज उड़ान-केंद्रित होकर रह गया है. मुख्यमंत्री आवास के एक कर्मचारी ने बड़े भोलेपन से कहा कि मुख्यमंत्री बहुत मेहनत करते हैं. सुबह ही हेलीकॉप्टर पर चढ़ जाते हैं और देर शाम वापस लौटते हैं, फिर सुबह हेलीकॉप्टर से कहीं चले जाते हैं. मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी भी मस्त हैं, न कोई नियंत्रण न कोई अनुशासन. यूपी की सरकार ऐसे ही मस्त उड़ान भर रही है.
पिछले दस बारह दिन का ही ब्यौरा देखें तो आपको पिछले डेढ़ साल का मुख्यमंत्री का हवाई-शासन समझ में आ जाएगा. 10 नवंबर की सुबह आठ बजे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकारी विमान से छत्तीसगढ़ के लिए उड़ गए. छत्तीसगढ़ में मुंगेली, बेमेतरा और कबीरधाम की चुनावी सभाओं को संबोधित करने के बाद विमान से वापस लखनऊ लौट आए. मुख्यमंत्री 12 नवंबर को फिर वाराणसी के लिए उड़ गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे पर मुख्यमंत्री का वहां रहना जरूरी था. एक दिन बाद 14 नवंबर को योगी फिर सरकारी विमान से छत्तीसगढ़ के लिए उड़े. वहां धमतरी, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर समेत कुछ अन्य स्थानों पर चुनावी सभाएं कर वापस लखनऊ लौटे. अगले ही दिन 15 नवंबर को सुबह ही मुख्यमंत्री फिर छत्तीसगढ़ के लिए उड़ गए. वहां योगी ने कोरिया, जशपुर, बालोद और रायपुर में चुनावी सभाओं को संबोधित किया और वापस लौटे. 17 नवंबर को योगी फिर उड़े और अपने गोरखपुर जनपद पहुंचे. पिपराइच चीनी मिल का निरीक्षण और क्षेत्रीय खेल स्टेडियम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता का उद्घाटन करने के बाद वापस लौटे. 18 नवंबर की सुबह ही योगी फिर उड़े और बिलासपुर पहुंच कर वहां प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और भटपारा, सूरजपुर, बलदेव बाजार और रायपुर में कई चुनावी सभाएं कीं. 21 नवंबर को योगी सरकारी विमान से भोपाल गए और वहां आस्ता, सिहोर, बोडरा, नरसिंहगढ़, रायगढ़, शमशाबाद, विदिशा, उदयपुर, रायसेन, इटारसी, होशंगाबाद में चुनावी सभाएं कीं. 22 नवंबर को योगी फिर उड़े और गढ़ मुक्तेश्वर (हापुड़) होते हुए गोरखपुर पहुंचे. गोरखपुर से देर रात ही योगी उड़ते हुए लखनऊ वापस आ गए. 23 नवंबर को मुख्यमंत्री ने फिर नागपुर के लिए उड़ान भरी. नागपुर में एक एनजीओ की सभा में शरीक हुए और वहां से सीधे वाराणसी में देव दीपावली में शामिल हुए. देव दीपावली मनाकर और काशी-विश्वनाथ मंदिर परिसर में बन रहे विशेष गलियारे का निरीक्षण कर योगी देर रात लखनऊ लौटे और फिर 24 नवंबर को मध्यप्रदेश के लिए उड़ गए. मध्यप्रदेश में चुनावी सभाएं करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजस्थान जाएंगे और भाजपा के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. इस तरह उत्तर प्रदेश में सरकार चलाई जा रही है.
आसमान से योगी चला रहे यूपी की सरकार
सुदूर नागपुर में एक एनजीओ की सभा में शरीक होना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता थी. एनजीओ ‘एग्रो-विजन’ की तरफ से आयोजित ‘एग्रीकल्चर-समिट’ में योगी आदित्यनाथ शरीक हुए और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की प्रशंसा के ‘गीत’ गाकर वाराणसी चले आए. लगातार सरकारी विमान और हेलीकॉप्टर पर सवार मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के सरकारी अधिकारियों को कम खर्चा करने का उपदेश देते रहे हैं. अभी हाल ही मुख्यमंत्री ने खर्च में कटौती करने का फरमान देकर विदेश यात्राओं, प्रकाशन सामग्री और विज्ञापनों पर होने वाले खर्च में कटौती करने की सख्त हिदायत दी थी. योगी ने पांच सितारा होटल की संस्कृति से भी बाज आने को कहा था और विभिन्न बैठकों में भाग लेने के लिए यात्रा पर होने वाले खर्च को सीमित करने का निर्देश दिया था. विडंबना यह है कि केंद्र में बैठी भाजपा सरकार चार वर्ष में चार हजार करोड़ रुपए केवल प्रचार-प्रसार पर खर्च कर चुकी है. प्रचार पर सबसे अधिक खर्च करने वाली पार्टी में भाजपा ही शीर्ष स्थान पर है.
सरकारी खजाना लुटाने में अखिलेश भी थे अव्वल
प्रचार-प्रसार और फिल्मों के लिए बांट दी थी रेवड़ी
फिजूलखर्ची में अखिलेश सरकार भाजपा से कहीं कम नहीं थी. निवर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रचार-प्रसार पर रिकॉर्ड तोड़ खर्च तो किया ही फिल्म वालों को भी सरकारी खजाने से खूब धन बांटे. अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में अखिलेश सरकार ने एलईडी से प्रचार में 85 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए. प्रतिस्पर्धा में योगी आदित्यनाथ ने भी सत्ता संभालते ही एलईडी प्रचार पर 10 करोड़ रुपए खर्च कर दिए. अखिलेश यादव ने चुनावी वित्तीय वर्ष 2016-17 में एलईडी वैन से प्रचार कराने में 85 करोड़ 46 लाख 60,681 रुपए खर्च किए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एलईडी वैन से प्रचार कराने में वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 के शुरुआती साढ़े सात महीने में 9 करोड़ 92 लाख 68,792 रुपए खर्च किए.
अखिलेश सरकार ने अगस्त 2016 तक एक हजार करोड़ रुपए टीवी अखबार के विज्ञापनों, होर्डिंग्स और एलईडी के जरिए प्रचार-प्रसार में झोंक दिए थे. इसी तरह अखिलेश सरकार ने फिल्म वालों को भी खूब धन दिए. यह खुलासा हुआ है कि एक 21 दिसम्बर 2016 को हुई एक ही बैठक में 21 विभिन्न फिल्म कंपनियों को करीब 10 करोड़ रुपए बांट दिए. इनमें सबसे अधिक दो करोड़ रुपए ‘मसान’ फिल्म बनाने वाली कंपनी मेसर्स फैंटम फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड मुंबई को दिए गए. इसके बाद के क्रम में फिल्म ‘पंडित जी बताईं न बियाह कब होई’ बनाने वाली कंपनी मेसर्स रविकिशन एंड मेधज प्रोडक्शंस लखनऊ को करीब 83 लाख रुपए, फिल्म ‘राजा बाबू’ बनाने वाली कंपनी मेसर्स शौर्या इंटरटेनमेंट लखनऊ को करीब 73 लाख, फिल्म ‘वाह ताज’ बनाने वाली कंपनी मेसर्स फन फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली को करीब 66 लाख रुपए, फिल्म ‘भूरी’ बनाने वाली कंपनी मेसर्स एस वीडियो पिक्चर्स मुंबई को 64 लाख रुपए, फिल्म ‘जिगरिया’ बनाने वाली कंपनी मेसर्स सौंदर्या प्रोडक्शंस मुंबई को 54 लाख रुपए, फिल्म ‘डायरेक्ट इश्क’ बनाने वाली कंपनी बाबा मोशन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड मुंबई को 46.44 लाख रुपए, फिल्म ‘नहले पर दहला’ बनाने वाली कंपनी मां कैला देवी फिल्म्स मुंबई को 44.01 लाख, फिल्म ‘अलिफ़’ बनाने वाली कंपनी एबी इन्फोसॉफ्ट क्रिएशन मुंबई को 43.48 लाख रुपए, फिल्म ‘थोड़ा लुत्फ़ थोड़ा इश्क’ बनाने वाली कंपनी चिलसाग मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को 42.33 लाख रुपए, फिल्म ‘मिस टनकपुर हाज़िर हो’ बनाने वाली कंपनी क्रॉसवर्ड फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ को 37.22 लाख रुपए, फिल्म ‘मेरठिया गैंगस्टर्स’ बनाने वाली कंपनी प्रतीक इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड गाजियाबाद को 36.23 लाख रुपए, फिल्म ‘स्वदेश की खातिर’ बनाने वाली कंपनी शीतल मूवी टेंपल वाराणसी को 7.20 लाख रुपए और फिल्म ‘हम हईं जोड़ी नं-1’ बनाने वाली कंपनी कैलाश मानसरोवर प्रोडक्शंस मुंबई को 4.34 लाख रुपए दिए गए.
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फिल्म वालों को तत्काल अनुदान देने की इतनी हड़बड़ी थी कि उन्होंने फिल्म ‘मजाज-ए-गम-ए-दिल-क्या करूं’, ‘इश्केरिया’, ’तलब ’, ‘हम हईं जोड़ी न-1’, ‘अलिफ़’, ‘आई एम नॉट देवदास’ और ‘स्वदेश की खातिर’ को फिल्म रिलीज़ होने के पहले ही अनुदान का 30 प्रतिशत भुगतान जारी कर दिया. फिल्म ‘आई एम नॉट देवदास’ बनाने वाली कंपनी हूलीगन फिल्म्स लखनऊ को 30 लाख रुपए, फिल्म ‘मजाज-ए-गम-ए-दिल-क्या करूं’ बनाने वाली कंपनी ड्रीम मर्चेंट फिल्म्स अलीगढ़ को 22.55 लाख रुपए, फिल्म ‘इश्केरिया’ बनाने वाली कंपनी स्वर्प फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड मुंबई को 11.14 लाख रुपए, फिल्म ‘तलब’ बनाने वाली कंपनी बाबा इंटरटेनमेंट फिल्म्स पुणे को 21.53 लाख रुपए और फिल्म ‘बंधन’ बनाने वाली कंपनी सुनीता शिव क्रिएशन मुंबई को करीब 16 लाख रुपए दिए गए. सूचना का अधिकार के तहत समाजसेवी नूतन ठाकुर द्वारा पूछे गए सवाल पर प्रदेश सरकार ने भुगतान की यह आधिकारिक सूचना दी है.