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दिल्ली में नहीं लगी प्रदूषण पर लगाम, तो केजरीवाल सरकार को हर महीने भरना होगा 10 करोड़ का जुर्माना

नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने सोमवार को दिल्ली सरकार से कहा कि महानगर में प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने में विफल रहने के लिए वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास 25 करोड़ रुपये जमा कराए. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आप सरकार से कहा कि शीर्ष प्रदूषण नियंत्रण निकाय के पास कार्य निष्पादन गारंटी के तौर पर 25 करोड़ रुपये जमा कराए ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें कोई कमी न रह जाए.

हर महीने भरना पड़ेगा 10 करोड़ का जुर्माना!
राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए ट्रिब्यूनल की ओर से कहा गया है कि वह अपने काम को करने में नाकाम रहती है तो उसे इस जुर्माने के अलावा हर महीने 10 करोड़ रुपये का फाइन भरना पड़ेगा. एनजीटी की ओर से स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि दिल्ली को जल्द से जल्द प्रदूषण रहित और सांस लेने के लायक बनाना है.

अधिकारियों की जानकारी में हो रहा है कानून का उल्लंघन!
इसने कहा कि इसके स्पष्ट निर्देशों के बावजूद न्यायाधिकरण के आदेशों के पालन के लिए शायद ही कोई कदम उठाए गए और कानून के उल्लंघन के तहत प्रदूषण लगातार जारी है और अधिकारियों के नाक के नीचे यह सब हो रहा है ‘‘जिन्होंने बहाना बनाने और असहाय दिखने के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाया.’’ हरित निकाय ने कहा कि साढ़े चार वर्षों के बाद भी पीड़ित पक्षों की शिकायत यह है कि प्लास्टिक के अनियमित निस्तारण के कारण प्रदूषण लगातार जारी है.

मुंडका और नीलवाल गांव में सबसे ज्यादा प्रदूषण
न्यायाधिकरण मुंडका गांव निवासी सतीश कुमार और टिकरी कलां निवासी महावीर सिंह की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें प्लास्टिक, चमड़ा, रबर, मोटर इंजन तेल और अन्य कचरा पदार्थों के कारण प्रदूषण के आरोप लगाए गए हैं. इसमें मुंडका और नीलवाल गांवों में अवैध औद्योगिक इकाइयों के लगातार परिचालन के कारण प्रदूषण फैलने के भी आरोप लगाए गए हैं.

दिल्ली सरकार ने लगाई थी गाड़ियों पर रोक
इससे पहले दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने जांच अभियान में प्रदूषण फैलाने वाले दस हजार से अधिक वाहनों के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की थी. परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया था कि छह अक्टूबर से प्रारंभ हुये इस अभियान में प्रदूषण फैलाने वाले 10,787 वाहन मालिकों पर कार्रवाई की गई. इनमें से 6,355 साफ तौर पर वायु प्रदूषत फैला रहे थे जबकि 4,432 वाहन प्रदूषण नियंत्रण जांच प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं कर सके. इन लोगों से एक हजार रूपए से लेकर दो हजार रूपए तक का जुर्माना वसूल किया गया.

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