लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोकशी के शक में हुई बुलंदशहर हिंसा पर मंगलवार को बैठक की. योगी की समीक्षा बैठक में सारा ध्यान गोकशी पर ही रहा. उन्होंने हिंसा में मारे गए पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार की मौत पर एक शब्द भी नहीं बोला.
सीएम ने इस घटना पर मुख्य सचिव, डीजीपी, प्रमुख सचिव गृह, अपर पुलिस महानिदेशक इंटेलिजेंस के साथ बैठक की. बैठक के बाद एक प्रेस रिलीज जारी की गई, जिसमें इंस्पेक्टर का कहीं जिक्र नहीं था. योगी आदित्यनाथ की इस बैठक में हिंसा और पुलिस सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. बीते चार दिसंबर 2018 को जारी प्रेस रिलीज में लिखा गया है कि योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से जांच कर गोकशी में संलिप्त सभी व्यक्तियों के विरूद्ध कठोरतम कार्रवाई का निर्देश दिया है.
इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने हिंसा में मारे गए 20 वर्षीय सुमित के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है. प्रेस रिलीज में आगे लिखा गया, ’19 मार्च 2017 से अवैध स्लॉटर हाउस बंद कर दिए गए हैं. मुख्यमंत्री ने इस घटना के क्रम में सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को यह निर्देश दिए हैं कि जिलास्तर पर ऐसे अवैध कार्य किसी भी दशा में न हो.’
योगी आदित्यनाथ ने यह भी निर्देश दिया गया है कि अभियान चलाकर माहौल खराब करने वाले तत्वों को बेनकाब करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. बता दें कि बीते सोमवार को बुलंदशहर के स्याना गांव में कथित गोकशी के बाद फैली हिंसा में पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में बजरंग दल के नेता योगेश राज को मुख्य आरोपी बनाया गया है.
सुबोध कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस के शक में पीट-पीटकर मार दिए गए अख़लाक मामले के जांच अधिकारी भी रहे थे. हिंसा की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. इस जांच में यह पता लगाया जाएगा कि हिंसा क्यों हुई और क्यों पुलिस अधिकारी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को अकेला छोड़कर भाग गए. इस मामले में पुलिस ने कुल 27 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.