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चेतेश्वर को दिया गया निकनेम ‘स्टीव’, लेकिन उन्होंने कहा- पुजारा बुलाओ

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में चेतेश्वर पुजारा ने शानदार शतक जड़ा. जब भारत का टॉप ऑर्डर आसानी से धराशायी हो गया था, तब क्रीज पर पुजारा आए. चेतेश्वर पुजारा ने धैर्य और संयम के साथ भारतीय पारी को संभाला. उन्होंने 246 गेंदों पर 7 चौके और 2 छक्कों की मदद से 123 रनों की शानदार पारी खेली. चेतेश्वर पुजारा का ऑस्ट्रेलिया में यह पहला शतक था. अपनी इस कामयाबी के लिए उन्हें जमकर बधाइयां मिल रही हैं.

चेतेश्वर पुजारा ने अपनी इस शानदार पारी का श्रेय काउंटी क्रिकेट को दिया है. पुजारा काउंटी क्रिकेट में यॉर्कशायर की तरफ से खेलते हैं. दिन का खेल खत्म होने के बाद पुजारा ने अपनी इस शतक का क्रेडिट काउंटी क्रिकेट को देते हुए कहा, यॉर्कशायर के साथ खेलते हुए मैंने खेल के विभिन्न आयामों को सीखा.” पुजारा ने कहा, ”इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेलने ने मेरे खेल को बेहतर बनाया. इंग्लैंड में परिस्थितियां हमेशा चुनौतीपूर्ण होती हैं. जब आप वहां से ऑस्ट्रेलिया खेलने आते हैं तो आप जानते हैं कि यहां स्थितियां इंग्लैंड से थोड़ी बेहतर होंगी.”

भारतीय खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा यॉर्कशायर के ड्रेसिंग रूम में काफी लोकप्रिय हैं. ड्रेसिंग रूम में पुजारा को निकनेम ‘स्टीव’ दिया गया था. पूर्व ऑस्ट्रेलियन स्पिनर शेन वॉर्न ने इसका खुलासा किया है. उन्होंने टि्वटर पर बताया कि पुजारा को यॉर्कशायर की टीम में स्टीव क्यों कहा जाता है.

शेन वॉर्न ने चेतेश्वर पुजारा को बधाई देते हुए लिखा-, पुजारा की शानदार पारी, या आप कह सकते हैं कि ‘स्टीव’ की शानदार पारी, क्योंकि यॉर्कशायर की टीम के लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं. क्योंकि वे चेतेश्वर का उच्चारण नहीं कर पाते. शतक बनाने के लिए उन्हें बधाई.

हालांकि, चेतेश्वर पुजारा को यह नाम पसंद नहीं हैं. जब यॉर्कशायर के खिलाड़ियों ने उन्हें ‘स्टीव’ नाम दिया था तो उन्होंने कहा था कि अगर आप चेतेश्वर नहीं बुला सकते हैं तो आप मुझे पुजारा कहिए. बता दें कि पुजारा पिछले कई सालों से काउंटी खेल रहे हैं. वह डर्बीशायर और नॉटिंघमशायर की तरफ से भी खेल चुके हैं.

एक नजर में देखिए, चेतेश्वर पुजारा की शानदार पारी

चेतेश्वर पुजारा ने मैच के बाद कहा, “मैं इस पारी को टेस्ट में अपनी टॉप-5 पारियों में रखता हूं. मैं नहीं कह सकता कि यह सर्वश्रेष्ठ थी. मेरी टीम के खिलाड़ियों ने मेरी पारी को काफी सराहा और कहा कि यह मेरी सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है.” आखिरी सत्र में भारत के सिर्फ चार विकेट बाकी थे. पुजारा ने माना कि तीसरे सत्र में बल्लेबाजी करना मुश्किल था.

पुजारा ने कहा, “तीसरा सत्र मुश्किल था. लेकिन मैं सेट था और अपने शॉट खेल सकता था. हमने सात विकेट खो दिए थे. मैं और अश्विन अच्छा खेल रहे थे और हमारे बीच साझेदारी भी अच्छी हो रही थी. जब अश्विन का विकेट गिरा तो मुझे लगा कि मुझे तेजी से रन बनाने होंगे. मैं जानता था कि इस विकेट पर मैं किस तरह के शॉट खेल सकता हूं. मैं दो सत्र खेल चुका था. मौसम को देखते हुए हालांकि तीसरा सत्र मुश्किल था. मौसम गर्म थी हालांकि हम भारत में इस तरह के मौसम के आदि हैं.” पुजारा रन आउट होकर पवेलियन लौटे. उन्हें इस बात की निराशा है लेकिन पुजारा ने कहा कि उनके लिए वह रन लेना जरूरी था.

पुजारा के मुताबिक, “रन आउट होना निराशाजनक था लेकिन मुझे वह एक रन लेना पड़ा क्योंकि सत्र की आखिरी दो गेंदें बची थीं. मुझे लगा था कि मुझे स्ट्राइक पर रहना चाहिए.” भारत का शीर्ष क्रम पहले सत्र में ही पवेलियन में बैठ चुका था. इस पर पुजारा ने कहा कि शीर्ष क्रम ने गलतियं की लेकिन दूसरी पारी में कोशिश उन गलतियों को सुधारने की होगी.

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