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10 साल पहले इशांत शर्मा ने पर्थ में किया था रिकी पोंटिंग की नाक में दम

ऐसा कम ही होता है कि कोई क्रिकेटर किसी मैच में अपने सभी साथी गेंदबाजों से कम विकेट ले, फिर भी वो मैच उसी की गेंदबाजी के लिए याद रखा जाए. ऐसा ही एक मैच 10 साल पहले पर्थ में खेला गया था. तब भारतीय पेसर इशांत शर्मा ने दोनों पारियों को मिलाकर सिर्फ तीन विकेट लिए थे. तत्कालीन कप्तान अनिल कुंबले, आरपी सिंह और इरफान पठान ने उनसे अधिक विकेट लिए. लेकिन मैच के पांच-छह साल बाद जब सचिन तेंदुलकर ने ऑटोबायोग्राफी लिखी, तो सबसे अधिक तारीफ इशांत की गेंदबाजी की ही की. उन्होंने तो यह तक लिखा, ‘अंतिम दिन टेस्ट क्रिकेट का शानदार उदाहरण था. दरअसल, उस सुबह इशांत शर्मा ने तेज गेंदबाजी का जो स्पेल डाला, वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मेरे तमाम वर्षों में देखे गए किसी भारतीय गेंदबाज के सबसे अच्छे स्पेल में से एक था ’

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 मैचों की सीरीज का दूसरा टेस्ट (Perth Test) शुक्रवार (14 दिसंबर) से खेला जाएगा. 30 इशांत शर्मा के इशांत शर्मा पहले ही कह चुके हैं कि यह संभवत: उनका आखिरी ऑस्ट्रेलिया दौरा है. वे 10 साल के करियर में 88 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. उन्होंने इन मैचों में 259 विकेट लिए हैं. इशांत अपने इस दौरे को यादगार बनाने के लिए पर्थ टेस्ट-2008 (Perth Test) का अपना प्रदर्शन दोहराना चाहेंगे. भारतीय टीम चार मैचों की सीरीज का पहला मैच जीत चुकी है. इशांत ने एडिलेड में खेले गए इस टेस्ट मैच में तीन विकेट लिए थे. भारतीय टीम इस जीत की बदौलत मौजूदा सीरीज में 1-0 से आगे है.

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इशांत शर्मा ने एडिलेड टेस्ट में पहली पारी में दो और दूसरी पारी में एक विकेट लिया था. (फोटो: Reuters) 

 

पर्थ का वो एकमात्र मैच, जिसे भारत ने जीता है 
इशांत शर्मा ने 2008 में 16-19 जनवरी के बीच खेले गए टेस्ट मैच में यह गेंदबाजी की थी. यह पर्थ में खेला गया एकमात्र टेस्ट मैच है, जिसे भारत ने जीता है. भारत ने इस मैच की पहली पारी में 330 और दूसरी पारी में 294 रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में 212 रन पर सिमट गई थी. इस तरह उसे मैच जीतने के लिए 413 रन का लक्ष्य मिला. मेजबान टीम ने लक्ष्य का पीछ करते हुए तीसरे दिन के खेल की समाप्ति तक दो विकेट पर 65 रन बनाए थे. चौथे दिन रिकी पोंटिंग और माइकल हसी क्रीज पर उतरे. इशांत शर्मा ने सुबह ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग पर ऐसा कहर बरपाया, जो भारतीय तेज गेंदबाजी के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है.

19 जनवरी की वो ऐतिहासिक तारीख… 
साल 2000 के दशक तक आमधारणा यही थी कि है कि भारतीय टीम की तेज गेंदबाजी कभी भी खतरनाक नहीं होती. इस बात पर भी शायद ही किसी को शक हो कि ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज तेज गेंदबाजी को सामना करने के महारथी हैं. और जब बल्लेबाज रिकी पोंटिंग हो, तब तो यह शक पैदा हो ही नहीं सकता. लेकिन 19 जनवरी 2008 वो तारीख है, जब रिकी पोंटिंग को इशांत के पेस अटैक के सामने कुछ नहीं सूझ रहा था. वे ना तो गेंद को छोड़ पा रहे थे और ना खेल पा रहे थे. कभी गेंद उनके इनसाइडएज लेती तो कभी आउटसाइडएज. कई गेंदें पोंटिंग के शरीर से भी टकराईं, लेकिन पोंटिंग आउट नहीं हो रहे थे. तभी एक गेंद ने इस संघर्ष का अंत कर दिया.

 

इशांत ने पोंटिंग के नाक में दम कर रखा था: सचिन 
सचिन तेंदुलकर अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘प्लेइंग इट माय वे’ में लिखते हैं, ‘मैच के आखिरी दिन पोंटिंग और माइकल हसी पलटवार का संकल्प लेकर उतरे. अनिल (कुंबले) ने पोंटिंग के लिए अच्छी फील्ड सजाई और इशांत को गेंद दे दी. किसी भारतीय तेज गेंदबाज को विश्व के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज के सामने असली गति से गेंदबाजी करते देखना और गुड लेंथ से अंदर आने वाली गेंदों से उन्हें सम्मोहित करते देखना प्रेरक था. इशांत जिस लेंथ पर डाल रहे थे, वही जीत की कुंजी थी. मैं मिडऑफ पर खड़ा था और उन्हें बार-बार उसी लाइन गेंद करते रहने की सलाह दे रहा था. कोई प्रयोग करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि उन्होंने पोंटिंग की नाक में दम कर रखा था. पोंटिंग आगे बढ़कर इशांत को की लेंथ को बदलने के लिए मजबूर करना चाहते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पा रहे थे.

और अंत में मिल ही गया तेज गेंदबाजी का पुरस्कार 
सचिन आगे लिखते हैं, ‘इशांत ठीक वही करने में कामयाब रहे जो उनसे करने को कहा गया था. उनके गति में अंत तक कोई कमी दिखाई नहीं दी. लेकिन पोंटिंग बार-बार बीट होने के बाद भी आउट होने से बच गए थे. यह महत्वपूर्ण पल था. अगर वे इस स्पेल से बच जाते, तो चैन से आगे बढ़ सकते थे और हम एक मौका चूक जाते. उधर, अब कप्तान अनिल का मन इशांत को आराम देने का था. तब कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों ने उन्हें राजी नहीं किया कि वे इशांत को पोंटिंग का विकेट निकालने का एक और मौका दें. यह दांव चल गया. इशांत ने आखिरकार पोंटिंग से किनारा निकलवा कर स्लिप में खड़े राहुल के हाथों कैच करा दिया. यह तेज गेंदबाजी का पुरस्कार था. हमें अपना विकेट मिल गया था और हम और अब हम ऑस्ट्रेलिया के मध्यक्रम पर प्रहार कर सकते थे. हम नियमित अंतराल से विकेट भी निकालते रहे और अंत में आरपी सिंह ने शॉन टैट को आउट करके हमें आश्चर्यजनक विजय दिलाई.’

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