नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर रहे उर्जित पटेल के इस्तीफे पर बात करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि उनसे सरकार के कोई मतभेद नहीं थे. सरकार के साथ उनकी मीटिंग भी अच्छे माहौल में हुई. सरकार का कोई दबाव नहीं था कि वह इस्तीफा दें. आज भी उनसे उनकी बात होती है.
इस सवाल पर कि क्या रिजर्व बैंक के फंड का सरकार इस्तेमाल करना चाहती है जिससे चुनावी साल में सरकार को फायदा मिल सके. इस पर जेटली का कहना था कि न तो बजट के लिए, न ही सरकार के खर्च के लिए उन्हें एक रुपया भी आरबीआई से चाहिए. जेटली ने कहा समय-समय पर इस बात पर चर्चा होती रही है कि आरबीआई को कितना रिजर्व फंड चाहिए. यह सिर्फ भारत की ही बात नहीं है. पूरे विश्व में इस बात की चर्चा होती है. भारत में भी कई कमेटियां बनीं यह जानने के लिए कि रिजर्व फंड कितना हो. अलग-अलग देशों में यह 8 से लेकर 18 पर्सेंट तक है लेकिन भारत में यह 28 पर्सेंट है.
रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को कोई खतरा नहीं है. सरकार चुनी हुई होती है. उसे जनता और व्यवसाय को जवाब देना पड़ता है. यह जवाब रिजर्व बैंक को नहीं देना पड़ता. इसलिए तरह-तरह के तंत्र इस्तेमाल करके उसमें प्रधानमंत्री के स्तर पर मीटिंग होती है, आरबीआई की बोर्ड मीटिंग हो और कोशिश की जाए कि इस लिक्विडिटी और क्रेडिट के मुद्दे को हल कीजिए. यह इतना सरल विषय नहीं है, इस मसले को हिंदुस्तान का पॉलीटिकल मीडिया नहीं समझ पाया.
जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक में जो पैसा है वह देश का पैसा है. रघुराम राजन ने भी चिट्ठी लिखकर कहा था कि रिजर्व बैंक में जो रिज़र्व है उसे कैसे खर्च किया जाए. विषय की गंभीरता से समझे बगैर नारों में इसे बदल दिया गया.
उर्जित पटेल के इस्तीफे और सरकार के साथ उनके संबंध के बारे में बोलते हुए जेटली ने कहा कि दो आरबीआई गवर्नर रघुराज रामन और उर्जित पटेल से उनकी बातचीत होती है. जेटली ने यह भी बताया कि पूर्ववर्ती सरकारों ने किस तरह आरबीआई गवर्नरों को इस्तीफा देने को मजबूर किया. जेटली ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने आरबीआई गवर्नर रामा राव को लिखा था कि आप की योजनाएं सरकार को सपोर्ट करने वाली होनी चाहिएं. इसके बाद गवर्नर रामा राव ने इस्तीफा दे दिया. गवर्नर जगन्नाथ ने मारुति को कर्ज देने से मना कर दिया तो इंदिरा सरकार ने उनसे इस्तीफा ले लिया.
चिदंबरम के कार्यकाल में दो आरबीआई गवर्नर से उनकी बातचीत भी नहीं होती थी. मेरे दोनों गवर्नर के साथ अच्छे संबंध थे और मैं आज भी उनसे संपर्क में हूं. आरबीआई की स्वायत्तता को कोई खतरा नहीं है लेकिन अगर अर्थव्यवस्था में कोई दिक्कत है तो हम रिजर्व बैंक से कहेंगे कि मदद करने सामने आएं.