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ये था बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत का असली राज

नई दिल्ली। दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के राज से पर्दा उठ गया है. बिसरा रिपोर्ट के मुताबिक बुराड़ी कांड में मारे गए किसी भी सदस्‍य के पेट से कोई जहरीला पदार्थ नहीं मिला है. इसी के साथ रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आत्‍महत्‍या से पहले कुछ लोगों ने खाना खाया था लेकिन कुछ लोग भूखे थे. इस पूरे मामले की जांच क्राइम ब्रांच की टीम कर रही है. बिसरा रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो गया है कि परिवार के 11 लोगों ने एक साथ आत्‍महत्‍या की थी.

दिल्ली के बुराड़ी इलाके के संतनगर में एक घर से एक साथ 11 लाशें मिलने के मामले में हर दिन नई-नई बातें सामने आ रही थीं. पूरा परिवार ‘मोक्ष प्राप्ति’ और मृत पिता से मिलने के लिए तंत्र-मंत्र और कथित धार्मिक अनुष्ठान कर रहा था. मोक्ष प्राप्ति की एक प्रक्रिया के तौर पर परिवार ने मास सुसाइड किया. इसके लिए परिवार के दो सदस्यों घर के बगल वाली फर्नीचर की शॉप से प्लास्टिक के स्टूल और तार खरीदे थे.

ललित के कहने पर बाकी लोगों ने लगाई फांसी
पुलिस का कहना है कि घर का छोटा बेटा होने की वजह से ललित भाटिया अपने पिता भोपाल सिंह का लाड़ला था और उनके बेहद करीबी था. पिता की मौत का असर उसपर सबसे ज्यादा पड़ा. ललित सदमे में था. पास-पड़ोस के लोगों ने पुलिस को बताया कि एक हादसे में ललित की आवाज चली गई थी. काफी इलाज के बाद आवाज नहीं लौटी. तब से वह अपनी बातें लिखकर बताने लगा. परिवार के करीबियों के मुताबिक, इसी दौरान ललित ने परिवार को बताया कि पिता भोपाल सिंह उसे दिखाई देते हैं और बातें करते हैं.

पुलिस को मिले थे हैंड नोट्स
पुलिस को कुछ और हाथ से लिखे नोट्स भी मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि किस तरह सामूहिक खुदकुशी की पूरी योजना बनाई गई. 30 जून 2018 की आखिरी एंट्री इस घटना का राज़ खोलती है. डायरी में अंतिम एंट्री में एक पन्ने पर लिखा है ‘घर का रास्ता. 9 लोग जाल में, बेबी (विधवा बहन) मंदिर के पास स्टूल पर, 10 बजे खाने का ऑर्डर, मां रोटी खिलाएगी, एक बजे क्रिया, शनिवार-रविवार रात के बीच होगी, मुंह में ठूंसा होगा गीला कपड़ा, हाथ बंधे होंगे.’ इसमें आखिरी पंक्ति है- ‘कप में पानी तैयार रखना, इसका रंग बदलेगा, मैं प्रकट होऊंगा और सबको बचाऊंगा.’

भाटिया परिवार को था ‘शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर’
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि ललित के निर्देशों के मुताबिक काम करने पर परिवार की काफी तरक्की भी हुई थी. इसलिए इस कथित ‘मोक्ष प्रक्रिया’ पर किसी ने सवाल नहीं उठाया. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पूरा परिवार ‘शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर’ का शिकार था. इस बीमारी से पीड़ित शख्स को किसी मरे हुए या तीसरे शख्स की आवाज सुनाई देने और उसे देखने का वहम हो जाता है. फिर ऐसा शख्स उसी के कहे मुताबिक काम करने लगता है. हालांकि, परिवार के रिश्तेदार और राजस्थान में रहने वाला भाई दिनेश ऐसी बातों को खारिज कर रहे हैं. दिनेश के मुताबिक, ये सब कुछ मीडिया ने प्रचार किया है.

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