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आतंकवादियों और सोशल मीडिया के खतरों से निपटने में परेशान रहा गृह मंत्रालय

नई दिल्ली। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों की ओर से जम्मू-कश्मीर में हिंसा और केरल में बाढ़ सहित प्राकृतिक आपदाओं तथा सोशल मीडिया के जरिए सामाजिक ताने-बाने और सौहार्द को खतरे जैसे मुद्दों ने 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय को काफी हद तक उलझाए रखा. केन्द्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘2018 में घरेलू सुरक्षा परिदृश्य सामान्य रहा, बांग्लादेश, म्यामां और चीन के साथ सीमा पर हालात में महत्वपूर्ण सुधार हुए जबकि भारत-पाक सीमा पर गोलीबारी सामान्य बात बनी रही.’ पश्चिमी सीमा पर सुरक्षाबलों ने संघर्षविराम उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दिया और घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया.

दिसंबर, 2018 की शुरुआत तक जम्मू-कश्मीर में 86 सुरक्षाकर्मी और 37 असैन्य नागरिक मारे गए. इस दौरान सुरक्षाबलों ने 238 आतंकवादियों को मार गिराया. इस दौरान कश्मीर घाटी में पथराव की 759 घटनाएं हुईं. जम्मू-कश्मीर में जून से ही राज्यपाल शासन लागू है. राज्य में सुरक्षा की जिम्मेदारी केन्द्रीय गृह मंत्रालय की है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय पुलिस के साथ 60,000 से ज्यादा अर्द्धसैनिक कर्मी तैनात हैं.

अधिकारी ने कहा कि केन्द्र ने 2018 में अपना रुख अत्यंत नरम करते हुए रमजान के पाक महीने में राज्य में सभी अभियान निलंबित कर दिए थे. उन्होंने कहा कि हालांकि समीक्षा के बाद इस प्रतिबंध को रमजान से आगे नहीं बढ़ाया गया और सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों के खिलाफ अपना अभियान तेज किया. इसमें सुरक्षाबलों को काफी सफलता मिली.

असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी का मसौदा बिना किसी हिंसा के प्रकाशित हुआ. अंतिम सूची तैयार की जा रही है. सदी की सबसे भीषण बाढ़ की चपेट में आए केरल को केन्द्र ने 3,048 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी. राज्य के 14 जिले इससे प्रभावित हुए और बाढ़ तथा वर्षा जनित हादसों में कम से कम 488 लोगों की मौत हुई.

वर्ष 2018 में साइबर अपराध के नए-नए तरीकों ने भी गृह मंत्रालय को उलझाए रखा. सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों के वायरल होने से पीट-पीटकर हत्या कर देने और साम्प्रदायिक तनाव फैलने की दो दर्जन से ज्यादा घटनाएं हुईं. इंटरनेट पर अश्लील सामग्री अपलोड करने और महिलाओं के साथ बदसलूकी की घटनाएं भी बहुत ज्यादा हुईं.

साल के खत्म होते-होते केन्द्रीय गृह मंत्रालय 10 से ज्यादा एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर से डेटा लेने की अनुमति देने को लेकर भी विवादों में रहा. इसे लेकर खूब राजनीति हुई.

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