नई दिल्ली। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं. दरअसल, एमनेस्टी इंटरनेशनल की ओर से जारी एक वीडियो में शाह भारत में मानवाधिकारों के स्तर पर बयान देते नजर आ रहे हैं. वीडियो में शाह कह रहे हैं कि ”हमारे देश का संविधान हमें बोलने, सोचने, किसी भी धर्म को मानने और इबादत करने की आजादी देता है. लेकिन, अब देश में मजहब के नाम पर नफरतों की दीवार खड़ी की जा रही है. जो लोग इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उन्हें इसकी सजा दी जाती है.”
In 2018, India witnessed a massive crackdown on freedom of expression and human rights defenders. Let’s stand up for our constitutional values this new year and tell the Indian government that its crackdown must end now. #AbkiBaarManavAdhikaar pic.twitter.com/e7YSIyLAfm
— Amnesty India (@AIIndia) January 4, 2019
अन्याय के खिलाफ उठी आवाज को दबाया जा रहा है- नसीरुद्दीन शाह
मानवाधिकारों की पर नजर रखने वाले संगठन एमनेस्टी इंडिया द्वारा शुक्रवार को जारी किये गए इस वीडियो में नसीरुद्दीन शाह कहते नजर आ रहे हैं कि इस देश में कलाकार, अभिनेता, शोधार्थियों, कवियों सभी को दबाया जा रहा है. पत्रकारों को भी चुप कराया जा रहा है. एमनेस्टी इंडिया ने गैर सरकारी संस्थाओं के खिलाफ सरकार की कथित ”कार्रवाई” के विरोध में शुक्रवार को एक वीडियो जारी की जिसमें अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने दावा किया कि भारत में धर्म के नाम पर नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है और इस ”अन्याय” के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सजा दी जा रही है.
सच न बोलने के लिए रोका जा रहा है
एमनेस्टी के 2.13 मिनट के एकजुटता वीडियो में शाह ने कहा कि जिन लोगों ने मानवाधिकारों की मांग की उन्हें जेल में डाला जा रहा है. उन्होंने दावा किया, ”धर्म के नाम पर नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है. निर्दोषों की हत्या की जा रही है. देश भयानक नफरत और क्रूरता से भरा हुआ है.” अभिनेता ने कहा कि जो इस ”अन्याय” के खिलाफ खड़ा होता है उन्हें चुप कराने के लिए उनके कार्यालयों में छापे मारे जाते हैं, लाइसेंस रद्द किए जाते हैं और बैंक खाते फ्रीज किए जाते हैं ताकि वे सच ना बोलें.
देश में केवल अमीर लोगों की हो रही है सुनवाई
उन्होंने उर्दू में एक वीडियो में कहा, ”हमारा देश कहां जा रहा है? क्या हमने ऐसे देश का सपना देखा था जहां असंतोष की कोई जगह नहीं है, जहां केवल अमीर और शक्तिशाली लोगों को सुना जाता है और जहां गरीबों तथा सबसे कमजोर लोगों को दबाया जाता है? जहां कभी कानून था लेकिन अब बस अंधकार है.”
पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान
एमनेस्टी ने ‘अबकी बार मानवाधिकार’ हैशटैग के तहत दावा किया कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी और मानवाधिकारों की पैरवी करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की गई. एमनेस्टी ने कहा, ”चलिए इस नववर्ष हमारे संवैधानिक मूल्यों के लिए खड़े हों और भारत सरकार को बताए कि अब कार्रवाई बंद होनी चाहिए.” शाह ने पिछले महीने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया था कि गाय की मौत एक पुलिस अधिकारी की मौत से अधिक महत्वपूर्ण है.
विदेशी लेनदेन उल्लंघन मामले में एमनेस्टी के ठिकानों पर पड़ा था छापा
वह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में तीन दिसंबर को कथित गोकशी को लेकर हुई भीड़ की हिंसा की घटना पर बोल रहे थे. हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई थी. गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी लेनदेन उल्लंघन मामले के संबंध में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के दो ठिकानों पर अक्टूबर में तलाशी ली थी.
लोगों ने शाह के बयान पर जताई प्रतिक्रिया
शाह की शुक्रवार की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता एनी राजा ने कहा कि अभिनेता ने जो कहा वह सच्चाई है. राजा ने कहा, ”असहमति की कोई जगह नहीं है. यहां तक कि लोकतंत्र की भी कोई जगह नहीं है. हम अपने चारों तरफ हिंसा के रूप में इसका सबूत देख सकते हैं.” मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेंस एसोसिएशन (ऐपवा) की सचिव कविता कृष्णन ने कहा, ”शाह ने अपनी चिंताएं जताई और मुझे उम्मीद है कि लोग इस पर ध्यान देंगे. दुनिया को भी जानने की जरुरत है कि क्या हो रहा है.”