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चीन ने इस देश को ‘बर्बाद’ करने की दी धमकी तो अमेरिका ने किया विरोध, कहा- डराइए मत वरना…

ताइपे। अमेरिका ने चीन से ताइवान पर दबाव नहीं डालने और दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के शांतिपूर्ण हल के लिए ताइवान सरकार के साथ संवाद फिर से शुरू करने का आग्रह किया. ताइवान में वस्तुत: अमेरिकी दूतावास की तरह काम करने वाले मिशन की प्रवक्ता ने यहां गुरुवार को यह बात कही. समाचार एजेंसी एफे की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सप्ताह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा द्वीप के साथ एकीकरण हासिल करने के लिए सैन्य शक्ति के प्रयोग को खारिज नहीं करने के मद्देनजर कई अमेरिकी सीनेटर और सांसदों ने ताइवान का समर्थन किया था, जिसके बाद प्रवक्ता अमांडा मनसोर की यह प्रतिक्रिया आई है.

मनसोर ने शी के भाषण के संदर्भ में कहा, “अमेरिका की चीन-ताइवान शांति और स्थिरता में गहरी व स्थायी रूचि है. चीन-ताइवान मतभेदों का कोई भी हल शांतिपूर्ण और दोनों पक्षों के लोगों की इच्छा के आधार पर होना चाहिए.” ताइवान स्थित अमेरिकन इंस्टीट्यूट ताइपे में एक तरह से अमेरिकी दूतावास है और यह 1979 से द्वीप पर वाशिंगटन के हितों का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है. 1979 में अमेरिका ने चीन के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए ताइपे के साथ रिश्ते तोड़ दिए थे.

चीन को टक्कर देने के लिए ताइवान ने कसी कमर, सैनिकों से कहा- 'तैयार हो जाओ'

चीन को टक्कर देने के लिए ताइवान ने कसी कमर
आपको बता दें कि इससे पहले ताइवान की सेना ने चीन द्वारा द्वीप पर कब्जा जमाने के लिए बल का इस्तेमाल करने के नए खतरों के बीच इस साल बड़े पैमाने पर नई रूपरेखा वाले सैन्य अभ्यासों की घोषणा की. आधिकारिक सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने रक्षा मंत्रालय के योजना प्रमुख मेजर जनरल येह क्यो-हुइ के हवाले से कहा कि ताइवान के सशस्त्र बल नियमित तौर पर ऐसे अभ्यास करते रहते हैं लेकिन इस बार के अभ्यास चीन के संभावित हमले के खिलाफ रक्षा करने के नए युद्ध कौशलों पर आधारित है. चीन इस स्व शासित द्वीप पर अपना दावा जताता है. ताइवान 1949 में गृह युद्ध के समय मुख्य भूभाग से अलग हो गया था.

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने दो जनवरी को ताइवान को दिए संदेश में बल का इस्तेमाल करने की धमकी देते हुए कहा था कि अगर जरुरत पड़ी तो वह बाहरी ताकतों का मुकाबला करने के लिए इस अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है. हालांकि शी ने अमेरिका का नाम नहीं लिया लेकिन अमेरिका ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने वाला मुख्य देश है और वह ताइवान के खिलाफ खतरों का जवाब देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है.

अमेरिकी सीनेट ने ताइवान के साथ संबंधों को बढ़ावा देने वाला विधेयक पारित किया
इससे पहले भी अमेरिकी सीनेट में ताइवान के साथ संबंधों को बढ़ावा देने वाले एक विधेयक के पारित होने के बाद चीन ने अमेरिका के समक्ष आधिकारिक रूप से अपना विरोध दर्ज कराते हुए नाराजगी प्रकट की थी. अमेरिका और ताइवान के बीच सभी स्तरों पर यात्रा को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी सीनेट ने ताइवान यात्रा कानून पारित किया था. विधेयक में कहा गया है कि अमेरिका की यह नीति होनी चाहिए कि ताइवान के उच्च स्तर के अधिकारी अमेरिका आएं, अमेरिकी अधिकारियों से मिलें और देश में कारोबार करें.

अमेरिकी सीनेट ने अमेरिका-ताइवान के रिश्तों को बढ़ावा देने वाले एक विधेयक को गुरुवार (1 मार्च) को पारित कर दिया. ‘द ताइवान ट्रैवल एक्ट’ का उद्देश्य अमेरिका एवं ताइवान के बीच यात्राओं को ‘‘हर स्तर पर’’ प्रोत्साहित करना है. विधेयक को जनवरी में प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था.

विधेयक में यह कहा गया कि अमेरिका आने वाले, अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात करने वाले और देश में कारोबार के सिलसिले में आने वाले उच्च स्तरीय ताइवानी अधिकारियों के लिए अमेरिकी नीति होनी चाहिए. इस विधेयक को कानून बनने के लिये अब सिर्फ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हस्ताक्षर का इंतजार है और इसके रास्ते में अब कोई व्यवधान भी दिखता प्रतीत नहीं हो रहा क्योंकि इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया है.

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