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नेता जगजीवन राम के राजनितिक करियर को ख़त्म करदिया था उनके बेटे के सेक्स स्कैंडल ने

नई दिल्ली। सेक्स और सियासत का जब-जब कॉकटेल हुआ है, तब-तब हंगामा बरपा है। दोस्ती, महत्वाकांक्षा, मोहब्बत और जुनून के दरमियान जब शक पैदा होता, तो साजिश होती है। दुनियाभर में सियासी हस्तियों से लेकर फिल्मी सितारों तक, हर कोई से’क्स स्कैंडल की गिरफ्त में आया है।

भारत के मशहूर दलित नेता जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम के से’क्स स्कैंडल की कहानी, जिसने सियासी गलियारे में ना केवल भूचाल ला दिया था बल्कि पिता के प्रधानमंत्री बनने का सपना तक चकनाचूर कर दिया था। साल 1977 में जनता पार्टी की लहर में इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थीं।

उस समय जगजीवन राम पीएम पद के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे थे। कहा जाता है कि जाने-माने नेता जगजीवन राम के बेटे से’क्स स्कैंडल में न फंसे होते तो वह देश के पहले दलित पीएम बन सकते थे।

दुर्भाग्यवश 1978 में सूर्या नाम की एक पत्रिका में ऐसी तस्वीरें छपीं, जिसमें जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम को यूपी के बागपत जिले के एक गांव की एक महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया। इन तस्वीरों ने सियासी गलियारे में तूफान ला दिया।

सूर्या पत्रिका की संपादक कोई और नहीं बल्कि इंदिरा गांधी की बहू मेनका गांधी थीं। इस से’क्स स्कैंडल जिस वक्त खुलासा हुआ उस वक्त जगजीवन राम, मोरारजी देसाई की सरकार में रक्षा मंत्री थे। उनकी गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी, लेकिन स्कैंडल ने उनके पीएम बनने के सपने के तोड़ दिया।

इस स्कैंडल में सुरेश राम के साथ दिख रही युवती दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज की छात्रा थी। कहा जाता है कि इसके बाद सुरेश ने उससे शादी भी की थी। लेकिन सुरेश की मौत के बाद जगजीवराम के परिवारवालों ने उसका बहिष्कार कर दिया था

दबे जुबान ये भी कहा जाता है कि इस से’क्स स्कैंडल का खुलासा जगजीवन राम के राजनैतिक करियर को खत्म करने के लिए किया गया था। इसमें उन्हीं के पार्टी के कई नेता शामिल थे। इन नेताओं में केसी त्यागी, ओमपाल सिंह और एपी सिंह का नाम अप्रत्यक्ष रूप से आता है।

इस चर्चित से’क्स स्कैंडल का सूत्रधार खुशवंत सिंह को माना जाता है। वह उस समय कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड के प्रधान संपादक और मेनका की पत्रिका सूर्या के कंसल्टिंग एडिटर भी थे। वह बंद लिफाफे में तस्वीरें लेकर पहुंचे। इसके बाद इसे सूर्या पत्रिका में छाप दिया गया। तो दोस्तों क्या ये कांग्रेस की एक साजिश थी। आपके इसके बारे में क्या कहेंगे कमेंट करके जरूर बताएं।

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