श्रीनगर। कश्मीर घाटी में आतंक की जड़ों को मज़बूत होते और इनकी तादाद बढ़ते देख सुरक्षाबलों ने एक नई रणनीति अपनाई. यह फैसला किया गया कि आतंकियों की बढ़ती तादाद को रोकने के लिए इनकी लीडरशिप को खत्म करना होगा ताकि बाकी आतंकियों का मनोबल टूट जाए. आतंकियों की संख्या चुनौती नहीं रखती. बल्कि इनके लीडर महत्व रखते है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हालांकि सक्रिय आतंकियों की संख्या 250 के आसपास है, लेकिन संख्या मायने नहीं रखती है. ऐसे में कमांडरों का खात्मा हमारे लिए बड़ी सफलता है. एक कमांडर से हम 100 नए युवाओं को आतंकी बनने से रोक पाते हैं और इन कमांडरों का अनुभव हर आतंकी घटना का कारण होता है.”
आज डेढ़ साल बाद सुरक्षाबल अपनी रणनीति में 90% कामयाबी हासिल कर चुके हैं. 2017 जून के महीने में सुरक्षाबलों ने एक उच्च स्तरीय बैठक में कश्मीर के टॉप आतंकियों की एक लिस्ट तैयार की. इसमें 12 आतंकी कमांडरों का नाम जारी किया गया. इनमें से अब केवल दो ही जीवित हैं.
कौन थे यह आतंकी :
1. जुनैद मट्टू : दक्षिणी कश्मीर के खुड़वानी का रहने वाला जुनैद 18 साल की उम्र में आतंकियों में शामिल हो गया था. मट्टू को दिसंबर 2016 में कुलगाम जिले का लश्कर प्रमुख नियुक्त किया गया था. उसने सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के कई जवानों पर हमले या तो खुद किये था या करवाए थे. पुलिस के मुताबकि जुनेद ने 27 नए युवाओं को आतंकी बनाया था. जुनेद को 16 जून, 2017 को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबेहरा के अरवानी क्षेत्र में सुरक्षबलों के साथ मुठभेड़ में मार डाला गया था.
2. बशीर अहमद वानी उर्फ लश्करी: बशीर लश्कर, सबसे पुराने जीवित आतंकियों में से एक था, 1999 में आतंकवाद में शामिल हो गया था, हालांकि उसे कई बार गिरफ्तार किया गया था, आखरी बार वह 2015 में आतंकवाद में शामिल हो गया, जिसके बाद उसने 16 जून, 2017 को सेना पर बड़े हमले की योजना बनाई, जिसमें 5 पुलिसकर्मी सहित एक पुलिस अधिकारी शहीद हुए थे. बशीर घात लगाकर हमला करने में माहिर था. बशीर को 1 जुलाई 2017 को सुरक्षाबलों द्वारा उस वक्त मार दिया गया जब सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में दिलगाम के ब्रेन्ती इलाके में एक घर के आसपास घेराबंदी की थी और दो दिनों तक मुठभेड़ चली थी.
3. वसीम शाह उर्फ वसीम मल्ला : 2014 में कॉलेज से पढ़ाई छोड़कर आतंकवाद में शामिल हो गया था. इसे दक्षिण कश्मीर के अशांति फैलाने का अगुवा मना जाता था. रिपोर्ट के मुताबिक शाह अपने स्कूल के दिनों से ही लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी संगठन का एक सक्रिय समर्थक था और संगठन के लिए एक कूरियर बॉय के रूप में काम करता था. वसीम के सिर पर 10 लाख रुपए का नकद इनाम रखा गया था, आतंकवादी संगठन के लिए नए कैडर की भर्ती करने में माहिर था. वह दक्षिण कश्मीर में सुरक्षाबलों पर विभिन्न हमलों में शामिल रहा था. हेफ शेरमल शोपियां का रहने वाले वसीम अहमद शाह को 13 अक्टूबर 2017 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के लित्तर इलाके में मुठभेड़ में मारा गया.
4. अबू दुजाना : दुजाना एक पाकिस्तानी आतंकी था, जो कई सालों तक दक्षिण कश्मीर में लश्कर का ऑपरेटिव चीफ था. 2015 में अबू कासिम की मौत के बाद आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशनल कमांडर के रूप में उभरा था. दुजाना को कॉर्डन ब्रेकर के रूप में जाना जाता था, जो 1 अगस्त 2017 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के हकरीपोरा इलाके में एक मुठभेड़ में अपने सहयोगी आरिफ लेलहारी के साथ मारा गया था.
5. अबू हमास: पाकिस्तान का निवासी, हमास 2016 से सक्रिय था और ए++ कैटगरी का आतंकी था. हमास यूबीजीएल दागने में माहिर था और दर्जनों सुरक्षा कम्पों पर हमले कर चुका था. जब उसे 17 मार्च 2018 को खानमोह में एक मुठभेड़ में मारा गया, वह जैश-ए-मोहम्मद का डिवीजनल कमांडर था, लेकिन हिज्बुल मुजाहिदीन से जाकिर के विभाजन के तुरंत बाद जाकिर मूसा के साथ उसने हाथ मिला लिया था.
6. सद्दाम पद्दर : शोपियां जिले के हेफ क्षेत्र के एक सेब व्यापारी के बेटे, सद्दाम ने आतंकवादी बनने से कुछ साल पहले स्कूल छोड़ दिया था. पद्दर 2013 के अंत में आतंकवाद में शामिल हो गया. वह बुरहान वानी की परछाई होने के कारण, आतंकियों में मशहूर था. एक साल के भीतर ही हिज़्ब का बड़ा आतंकी बन गया. वह 6 मई, 2018 को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के बडगाम इलाके में मुठभेड़ में मारा गया था.
7. शोकात अहमद टाक: कम-प्रोफ़ाइल वाला यह आतंकवादी पाकिस्तान के लिए घाटी में एक बड़ा संपर्क था. भले ही बुरहान वानी की तरह नाम नहीं बन पाया, लेकिन वह घाटी में सेना के लिए सबसे घातक आतंकवादियों में से एक बन गया था. 2011 में 21 साल का शौकत आतंकवाद में शामिल हुआ था. वह 05 मई 2018 को श्रीनगर के छत्ताबल इलाके में फोर्सेस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था.
8. मोहम्मद यासीन इतु : ए++ श्रेणी हिज्ब का यह आतंकी सितंबर 1996 में सीमा पार हथियारों के प्रशिक्षण के लेने के लिए रवाना हुआ था. एक साल बाद घाटी लौटा था. इतु हिज़्बुल की रीढ़ की हड्डी माना जाता था. वह दर्जनों युवाओं को आतंकवाद में शामिल करने में सफल रहा था. 8 जुलाई 2016 को बुरहान वानी की मौत के बाद यासीन को हिजबुल मुजाहिदीन का डिवीजनल कमांडर बानया गया था. 14 अगस्त 2017 को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के अवनेरा इलाके में एक मुठभेड़ में यह मारा गया था.
9. अल्ताफ अहमद कचरू: 37 साल का यह आतंकी कश्मीर घाटी में हिज़्ब उल मुजाहिदीन के सबसे पुराने ऑपरेटिव कमांडरों में से एक था. वह दक्षिण कश्मीर में कुलगाम जिले के कोई मोह क्षेत्र के हवोरा क्षेत्र का निवासी था. वह 2006 में आतंकवाद में शामिल हुआ और अगस्त 2007 में सुरक्षाबलों के साथ एक संक्षिप्त मुठभेड़ में गिरफ्तार किया गया. उसे एनकाउंटर ब्रेकर के रूप में जाना जाता था. डार दक्षिण कश्मीर में हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के टॉप आतंकवादियों में से एक था और ए++ श्रेणी के आतंकी था. उसके सिर पर 12.5 लाख का इनाम था. वह 29 अगस्त 2018 को अनंतनाग जिले में एक मुठभेड़ में मारा गया.
ज़ीनत-उल-इस्लाम: शगुन शोपियां के निवासी की उम्र 28 साल की थी. वह सबसे पुराने आतंकवादी और अल्बद्र का चीफ कमांडर था. उसे IED विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता था. कोडन को तोड़ने में मास्टरमाइंड था. 2006 में आतंकवाद में शामिल हुआ. वह ऐ +++ श्रेणी में था और उस पर 12 लाख इनाम था. ज़ीनत 2006 में आतंकी बना और अल्बद्र में शामिल हुआ फिर उसे गिरफ्तार किया गया. 2015 के आखिर में ज़ीनत ने हिज़्ब ज्वाइन किया और बुरहान की मौत के कुछ महीनों बाद लश्कर से मिला गया मगर 2018 अक्टूबर में वह फिर अल्बद्र में शामिल हो गया. ज़ीनत को सुरक्षबलों ने 12 जनवरी 2019 को दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम के रथपुरा गावों में एक मुठभेड़ के दौरान ढेर कर दिया.
इन कमांडरों के इलावा कई और शातिर आतंकी ऑपरेशन ऑल आउट के अंदर ढेर किए गए. इनमें मनान वानी, नवीद जट्ट, दावूद सोफी, अली भाई और उमर मजीद गानी शामिल है. यह सभी सुरक्षाबलों के लिस्ट में ए++ कैटगरी में थे.
अब घाटी में आतंकवादी कमांडरों की संख्या ना के बराबर है. केवल दो ही आतंकी कमांडर जीवित बचे हैं. हिज़्ब का चीफ ऑपरेशनल कमांडर रियाज़ नाइकू और अंसार-उल- गज़्वातील हिन्द का चीफ ज़ाकिर मूसा. ये दोनों सुरक्षाबलों की लिस्ट में ऐ +++ कैटगरी में हैं और इन पर 12.5 लाख का इनाम है.
घाटी में भले ही अब भी आतंकियों की संख्या 250 के आसपास हो मगर इन्हे चलने वाले चेहरे और दिमाग खत्म हो चुके है जो एक बड़ी सफ़लता है. एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक ” संख्या कितनी भी हो मगर महत्व रखती है रणनीति जो आतंकियों के पास खत्म हो चुकी है और यही कारण है कि पिछले 6 महीने से नए आतंकियों का बनना लगभग बंद हो गया है. यही माहौल रहा तो बहुत जल्द सक्रिय आतंकियों संख्या 100 से नीचे होगी. इस अधिकारी के मुताबिक अब सुरक्षाबलों का सारा ध्यान रियाज़ नाइकू पर है.”