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अमेरिका की फटकार के बाद भारत के ‘खास दोस्त’ ने गड़ाई ‘कंगाल’ पाकिस्तान पर नजर, दिया ये प्रस्ताव

इस्लामाबाद। रूस की एक सरकारी कंपनी ने नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के जल और बिजली क्षेत्रों में दो अरब डॉलर का निवेश करने की पेशकश की है. मीडिया की खबरों में बृहस्पतिवार को कहा गया है कि रूसी कंपनी ने सरकार से सरकार आधार पर यह निवेश करने की पेशकश की है. रूस की सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनियों में से एक इंटर आरएओ इंजीनियरिंग के प्रतिनिधियों ने नवंबर में पाकिस्तान के जल एवं बिजली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी और दो अरब डॉलर का निवेश करने की पेशकश की थी.

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार कंपनी ने 800 मेगावॉट की मोहमंद बांध परियोजना में भी निवेश की इच्छा जताई है. हालांकि, अभी तक रूसी कंपनी को पाकिस्तान की ओर से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. उल्लेखनीय है कि नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से आठ अरब डॉलर के राहत पैकेज के लिए बातचीत कर रहा है, जिससे वह अपने गंभीर भुगतान संतुलन संकट से उबर सके.

अमेरिका के पैसों से आतंकियों को पाल रहा था पाकिस्तान 
अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह आतंक को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. इसीलिए राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 25 करोड़ 50 लाख डॉलर की सैन्य सहायता राशि रोक दी थी. व्हाइट हाउस ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि ऐसी सहायता इस बात पर निर्भर करेगी कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर आतंकवाद का किस तरह जवाब देता है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर अमेरिका को ‘झूठ और धोखे’ के सिवाए कुछ ना देने और पिछले 15 वर्षों में 33 अरब डॉलर की सहायता देने के बदले में आतंकवादियों को ‘पनाहगाह’ देने का आरोप लगाया. कई अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों ने अपने रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र किया था कि पाकिस्तान ने कैसे अमेरिका से मिलने वाली मदद को आतंकियों की मदद में खर्च किया. यहां हमेशा से यह सवाल बना रहा कि अमेरिका ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया. उसने आज तक पाकिस्तान को टेरर स्टेट घोषित नहीं किया.

जमात उद दावा प्रमुख हाफिज सईद भारत के खिलाफ क्या करता है और उसने कैसे मुंबई हमलों की साजिश रची? यह अमेरिका को अच्छी तरह पता था. इसके बावजूद उसने बहुत देरी से इन आतंकियों के खिलाफ कड़ा स्टैंड लिया. नतीजा यह रहा कि तब तक ये आतंकी पाकिस्तानी सरकार और फौज से आर्थिक मदद लेते रहे.

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