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शादी के लिए भय्यू महाराज को ब्लैकमेल कर रही थी युवती, दो सेवादार भी थे शामिल

इंदौर। हाईप्रोफाइल आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज की मौत के सात महीने पुराने मामले में शुक्रवार को अहम मोड़ आ गया, जब उन्हें खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने 25 साल युवती समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया. उनमें भय्यू महाराज के दो सहयोगी शामिल हैं.

डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्रा ने बताया कि मामले में पलक, विनायक दुधाड़े और शरद देशमुख को गिरफ्तार किया गया है. उन पर भारतीय दंड विधान की धारा 306 (आत्महत्या के लिये उकसाना) और अन्य संबद्ध धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

उन्होंने बताया कि पलक (25) पर आरोप है कि वह कुछ निजी वस्तुओं के आधार पर भय्यू महाराज (50) को ब्लैकमेल कर उन पर शादी के लिये दबाव बना रही थी, जबकि आध्यात्मिक गुरु के दो सहयोगी-दुधाड़े और देशमुख इस काम में युवती की कथित तौर पर मदद कर रहे थे. डीआईजी के मुताबिक भय्यू महाराज की पत्नी आयुषी और उनके अन्य नजदीकी संबंधियों ने तीनों आरोपियों के खिलाफ पुलिस को हाल ही में बयान दर्ज कराए हैं.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक भय्यू महाराज के पूर्व ड्राइवर कैलाश पाटिल ने भी पुलिस को कुछ दिन पहले दिये बयान में कहा था कि पलक यह कहकर आध्यात्मिक गुरू को ब्लैकमेल कर रही थी कि उसके पास उनसे जुडी कुछ निजी वस्तुएं हैं.

भय्यू महाराज का सबसे खास सेवादार दुधाड़े उनकी आत्महत्या के तुरंत बाद चर्चा में आया था. आध्यात्मिक गुरू के कथित सुसाइड नोट में उनके वित्तीय उत्तराधिकार, संपत्ति, बैंक खाते और संबंधित मामलों में दस्तखत का हक दुधाड़े को ही सौंपे जाने का जिक्र था. वह भय्यू महाराज से करीब 15 साल पहले जुड़ा था और साये की तरह उनके साथ रहता था. दुधाड़े मामले में उस समय संदेह के घेरे में आया, जब वह आध्यात्मिक गुरु की खुदकुशी के कुछ समय बाद गायब हो गया था.

पुलिस के मुताबिक, भय्यू महाराज (50) ने यहां अपने बाइपास रोड स्थित बंगले में 12 जून को उनके लायसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.

पुलिस ने भय्यू महाराज के घर से छोटी-सी डायरी के पन्ने पर लिखा सुसाइड नोट बरामद किया था. इसमें उन्होंने लिखा था कि “वह भारी तनाव से तंग आकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर रहे हैं.”

पुलिस को शुरुआत में संदेह था कि भय्यू महाराज ने कथित पारिवारिक कलह से परेशान होकर खुदकुशी की थी. लेकिन भय्यू महाराज के भक्त इस पहलू को खारिज करते हुए लगातार कह रहे थे कि आध्यात्मिक गुरु की मौत के पीछे कोई गहरी साजिश है और इसके खुलासे के लिये मामले की सीबीआई से जांच करायी जानी चाहिये.

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