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बच्चों के नए और प्रिय चाचा मोदी ने कहा – माता-पिता को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि बच्चे उनके अधूरे सपने पूरे करें

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार काे उन स्कूली बच्चों से बात की, जिनकी परीक्षाएं नज़दीक आ रही हैं. इस कार्यक्रम को ‘परीक्षा पर चर्चा’ नाम दिया गया. यह कार्यक्रम पिछले साल शुरू हुआ था. इस बार इसका यह दूसरा संस्करण था. इसमें प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों को तनावमुक्त रहने और सफल होने के नुस्खे बताए. साथ ही माता-पिता से भी कहा कि उन्हें ये उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि बच्चे उनके अधूरे सपने पूरे करें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हर बच्चे की अपनी ताक़त होती है. उसमें अपनी तरह की संभावनाएं होती हैं. उसे समझने की ज़रूरत है. यही महत्वपूर्ण है.’ उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए हुए जमावड़े को ‘मिनी इंडिया’ नाम दिया. क्योंकि इसमें देश के कोने-कोने से चुने हुए बच्चों को लाया गया था. कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने बच्चों को तकनीक का अपने हित में बेहतर इस्तेमाल करने की नसीहत भी दी. लेकिन साथ में यह भी जोड़ा कि बाहर खुले मैदान में खेलने से न चूकें.

पबजी वाला है क्या?

इस दौरान एक मां ने प्रधानमंत्री से अपने बच्चे की शिकायत की कि वह ऑनलाइन गेम बहुत खेलता है. इसकी वज़ह से पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता. इस समस्या से कैसे निपटा जाए? इस पर प्रधानमंत्री ने तुरंत बच्चे की मां से मज़ाकिया लहज़े में पूछा, ‘पबजी (बच्चा) वाला है क्या?’ इससे पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा. फिर उन्होंने गंभीरता से ज़वाब दिया, ‘हर चीज की तरह तकनीक के भी अच्छे-बुरे पहलू हैं. माता-पिता के रूप में हमें अपने बच्चों को यह समझाना होगा कि तकनीक का बेहतर इस्तेमाल वे कैसे कर सकते हैं. इस बारे में उनसे बात कीजिए. उनसे पूछिए. इस तरह उनके क्षितिज को विस्तार दीजिए. उन्हें तकनीक के इस्तेमाल से रोकना कोई समाधान नहीं है.’

इसी संदर्भ में ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने जिस ‘पबजी (प्लेयर्स अननॉन बैटलग्राउंड)’ का ज़िक्र किया, वह काफी लोकप्रिय ऑनलाइन गेम है. यह दिसंबर 2017 में आया था. लेकिन देश के गुजरात और जम्मू-कश्मीर जैसे कई राज्यों ने इस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. इस आधार पर कि इससे बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है.

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