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भारत के बाद अब इस ताकतवर देश ने भी दी पाकिस्‍तान को चेतावनी, कहा -‘गंभीर नतीजे भुगतने होंगे’

नई दिल्‍ली। आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्‍तान को अब वैश्विक स्‍तर पर दबाव झेलना पड़ रहा है. ईरान ने भी शुक्रवार को पाकिस्‍तान को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह आतंकी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई करे. ईरान की कुर्द सेना के कमांडर ने कहा है कि पाकिस्‍तान पड़ोसी देशों में आतंकवाद न फैलाए. ईरान ने यह भी कहा है कि अगर पाकिस्‍तान ऐसा नहीं करता है तो उसे गंभीर नतीजे भुगतने होंगे.

बता दें कि ईरान भी पाकिस्‍तान प्रायोजित आतंकवाद का दंश झेल रहा है. पाकिस्तानी सरहद से लगते ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में 13 फरवरी को फिदायीन हमलावर ने रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की एक बस पर हमला कर दिया था जिसमें बल के 27 कर्मियों की मौत हो गई थी. ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स पर पिछले हफ्ते फिदायीन हमला करने वाला हमलावर पाकिस्तानी नागरिक था. बल की सिपाह समाचार एजेंसी ने गार्ड्स के जमीनी बल के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद पाकपौर के हवाले से कहा, ‘फिदायीन हमलावर का नाम हफीज मोहम्मद अली था और वह पाकिस्तानी था.’

14 फरवरी को जम्‍मू और कश्‍मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए थे. इस हमले की जिम्‍मेदारी पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद ने ली है.

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने भी गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले की कड़ी निंदा की. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. सुरक्षा परिषद ने इस घटना के अपराधियों, साजिशर्ताओं और उन्हें धन मुहैया कराने वालों को ‘इस निंदनीय कृत्य’ के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने और न्याय के दायरे में लाने की जरूरत को रेखांकित किया.

संयुक्त राष्ट्र की 15 शक्तिशाली देशों की इस इकाई ने अपने बयान में पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद का नाम भी लिया. यूएनएससी की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘सुरक्षा परिषद के सदस्य 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में जघन्य और कायरान तरीके से हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें भारत के अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए थे और इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.’ बयान में आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरों में से एक बताया गया है.

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