नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. 7 चरणों में चुनावों की शुरुआत 11 अप्रैल से होगी. 19 मई को सातवें और आखिरी चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. 23 मई को चुनावों के नतीजें आएंगे. इन चुनावों की तारीख के ऐलान के साथ लोगों की निगाहें जम्मू-कश्मीर के चुनावों पर भी लगी हुई थीं. घाटी के ताजा हालात में वहां किस तरह चुनाव होंगे, इस पर सबकी नजरें थीं. लेकिन चुनाव आयोग ने साफ कर दिया कि राज्य के विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ नहीं होंगे. जम्मू कश्मीर में 5 चरणों में चुनाव संपन्न होंगे.
जम्मू-कश्मीर में 6 लोकसभा सीटों के लिए 5 चरणों में चुनाव होंगे. यहां पर 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल और 6 मई को वोट डाले जाएंगे. लेकिन जम्मू कश्मीर की अनंतनाग सीट ऐसी सीट होगी, जहां पर तीन चरणों में चुनाव होंगे. जम्मू कश्मीर के हालात को देखते हुए यहां पर सभी सीटों पर शांतिपूर्ण तरीके से मतदान बड़ी चुनौती है.
अनंतनाग सीट पर 2014 में पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने चुनाव जीता था. लेकिन उनके सीएम बनने के बाद ये सीट खाली थी. यहां पर पहले भी चुनाव कराने के बारे में सोचा गया था, लेकिन सुरक्षा के कारणों से ये लगातार टलता गया. जम्मू कश्मीर की 6 लोकसभा सीटों में से 2014 में बीजेपी ने 3 और पीडीपी ने 3 सीटें जीती थीं. बाद में हुए एक उपचुनाव में फारुख अब्दुल्ला ने एक सीट जीत ली थी.
जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ नहीं होगा विधानसभा चुनाव : चुनाव आयोग
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को कहा कि सुरक्षा कारणों के चलते जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ नहीं होगा। नेशनल कान्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की ओर से इसकी आलोचना की गई. भाजपा और पीडीपी का गठबंधन पिछले वर्ष जून में टूटने के बाद जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन है. अरोड़ा ने कहा कि केंद्रीय बलों की उपलब्धता, अन्य साजोसामान की कमी और हाल की हिंसा की घटनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में केवल लोकसभा चुनाव कराने का निर्णय किया है.
यद्यपि चुनाव आयोग के निर्णय की नेशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आलोचना करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव 1996 के बाद पहली बार समय पर नहीं कराये जा रहे हैं.